इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक मामले का निस्तारण करते हुए एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को दिया जाने वाला गुजारा भत्ता कोई इनाम नहीं है। यह उसे जीवित रहने के लिए प्रदान किया जाता है। कोर्ट ने मामले में फतेहपुर के पारिवारिक न्यायालय द्वारा पुनरीक्षण अर्जी खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया और गुजारा भत्ता दिए जाने का आदेश पारित किया। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने बिटोला/रिंकू की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
मामले में याची प्रतिवादी की पत्नी है। सन 2013 में उसका विवाह हुआ था। लेकिन, शादी के बाद पति सहित परिवार के सदस्यों की ओर से प्रताड़ित किया गया, जिसकी वजह से वह घर छोड़कर चली गई। याची की ओर से कहा गया कि उसके पास आय के स्रोत नहीं हैं। निचली अदालत ने सही फैसला नहीं दिया है। उसे खारिज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय ने याची के साक्ष्य पर विश्वास न कर त्रुटि की है।