. नई दिल्ली : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की चल रही कोशिशों के बीच शिक्षा मंत्रालय ने एक और अहम कदम उठाया है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों और प्रिंसिपलों के लिए अब प्रशिक्षण जरूरी होगा। जो उन्हें एनईपी के प्रभावी अमल होने तक हर साल दिया जाएगा। इनमें उन सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा, जो एनईपी के तहत स्कूलों में लागू किए जा रहे है, या फिर आने वाले नए स्कूली पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाए जाने वाले है। खास बात यह है कि इस प्रशिक्षण के दायरे में सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले ही शिक्षक औरप्रिंसिपल नहीं आएंगे बल्कि निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक और प्रिंसिपल भी शामिल होंगे। हालांकि वह उनके लिए जरूरी नहीं होगा। लेकिन स्कूलों के लिए प्रस्तावित ग्रेडिंग व्यवस्था में यह शामिल होगा।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस योजना के तहत स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और प्रिंसिपलों के प्रशिक्षण का जो रोड़मैप तैयार किया है, उसके तहत यह हर साल करीब 50 घंटे का होगा। प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों के एकेडेमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) में यह प्रशिक्षण दर्ज भी होगा। फिलहाल मंत्रालय ने इस प्रशिक्षण के फ्रेमवर्क को तैयार करने के लिए एनसीटीई (नेशनल काउंसिल आफ टीचर एजुकेशन) और राज्यों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। मंत्रालय के मुताबिक प्रशिक्षण की इस पहल में प्रिंसिपलों पर विशेष फोकस किया गया है। उन्हें लीडरंशिप और नवाचार को लेकर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके आधार पर ही वह स्कूलों में पढ़ने वाले प्रतिभाशाली बच्चों को पहचान सकेंगे और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया करा सकेंगे। अभी नौकरी मिलने के बाद शिक्षकों को एक अंतराल पर ही प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। वह भी जरूरी नहीं है।