गोरखपुर मंडल के 24 राजकीय आईटीआई में जुगाड़ से तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई चल रही है। इन संस्थानों में न तो स्वीकृत पदों के सापेक्ष प्रधानाचार्य हैं और न ही शिक्षक। दशकों से पद खाली चल रहे हैं। जैसे-तैसे 12 ट्रेड में 8856 विद्यार्थियों का अध्यापन कार्य चल रहा है। अव्यवस्था का आलम यह है कि मंडल के 24 राजकीय आईटीआई में महज चार ही प्रधानाचार्य हैं। जबकि, 561 शिक्षकों के सापेक्ष 152 ही शिक्षक रह गए हैं।
वर्तमान समय में जब प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक तकनीकी शिक्षा की सूरत को संवारने में जुटे हैं। ऐसे में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की कमी उन लक्ष्यों को हासिल करने में अड़चन पैदा कर रही है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति कुशीनगर जनपद की है। जहां, छह राजकीय आईटीआई में 12 ट्रेड की पढ़ाई के लिए कोई प्रधानाचार्य ही नहीं हैं।
शिक्षकों की संख्या भी महज 26 रह गई। जबकि, शासन की ओर से 112 पद शिक्षकों के स्वीकृत हैं। महाराजगंज जिले के चार राजकीय आईटीआई महज एक ही प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहा है। जबकि, स्वीकृत 118 शिक्षकों के मुकाबले महज 13 शिक्षक ही मौजूद हैं। ऐसी कमोबेश स्थिति देवरिया की भी है जहां, छह राजकीय आईटीआई का प्रभार एक प्रधानाचार्य के पास है। जबकि, स्वीकृत 179 शिक्षकों के सापेक्ष महज 47 शिक्षक ही बचे हैं।
गोरखपुर मंडल में अन्य जनपदों के सापेक्ष आठ राजकीय आईटीआई में दो प्रधानाचार्य हैं। आईटीआई चरगांवा और आईटीआई खजनी के प्रधानाचार्य के पास ही बाकि छह राजकीय आईटीआई का प्रभार है। 152 शिक्षकों के मुकाबले 66 शिक्षक ही तैनात हैं।
दशकों से खाली है पद, शासन स्तर नहीं हुई नियुक्तियां
जानकारों के अनुसार दशकों से राजकीय आईटीआई में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। राजकीय आईटीआई की स्थापना के बाद से एक एक कर शिक्षक और प्रधानाचार्य सेवानिवृत्त होते गए। मगर, नए की तैनाती नहीं हुई। जिस वजह से हालात खराब होते जा रहे हैं।
राजकीय आईटीआई चरगांवा के प्रधानाचार्य शरदचंद सागरवाल ने कहा कि प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के नियुक्ति की प्रक्रिया शासन स्तर पर गतिमान है। जल्द ही रिक्त पदों पर तैनाती होने की संभावना है। जो शिक्षक हैं उनकी मदद से ही अध्यापन कार्य कराया जा रहा है।