डयूटी को लेकर बीईओ की हो गोपनीय जांच
उन्नाव:-मास्टरों के साथ जनपद में तैनात खंड शिक्षा अधिकारियों की गोपनीय जांच भी जरूरी है। क्योंकि इनकी मनमानी नौनिहालों के भविष्य पर भारी पड़ रही है। तैनाती स्थल पर न रूककर गृह जनपद से रोज आने जाने का इनका समय कोई पक्का नहीं है। जब चाहा आए और जब चाहा ड्यूटी कर निकल लिए। ऐसे में परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई को कानवेंट के तर्ज पर ले जाने की मंशा पूरी तरह से फेल हो रही है। इतना ही नहीं खुद ड्यूटी में मनमानी करने वाले बीईओ कई शिक्षकों को भी संरक्षण दिए हैं। जो महीनों महीनों तक स्कूल न आकर अपने घर से ड्यूटी बजा रहे हैं। जिन पर बीईओ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। गंजमुरादाबाद के कई स्कूलों में डीएम की गोपनीय जांच में इसकी बानगी देखने को भी मिली है। ऐसे में डीएम को खंड शिक्षा अधिकारियों की रूकने या फिर उनके द्वारा किए जाने कामों की गोपनीय जांच कराकर कार्रवाई की जानी चाहिए।
बीएसए जानते नहीं रूकते बीईओ फिर भी क्यों छूट”
जनपद में बीईओ के न रूकने की बात से बीएसए वाकिफ है। इसके बाद भी बीएसए उनके छूट दिए हैं। जिसके कारण पढ़ाई व्यवस्था व सरकारी काम में रूकावटें बनती है।
शिक्षकों पर कार्रवाई तो बीईओ पर क्यों मेहरबान:
बीईओ द्वारा स्कूलों का निरीक्षण कर बीएसए को जांच आख्या भेजी जाती है। शिक्षकों का उन मामलों पर निलंबन या फिर वेतन रोक दिया जाता है। जिसके जिम्मेदार वह होते ही नहीं है। आरोपों पर उनसे कोई स्पष्टीकरण भी नहीं लिया जाता है और तत्काल प्रभाव से कार्रवाई कर दी जाती है। वहीं बीईओ के न रूकने, तमाम शिक्षकों को अपने पीछे लगाए रखने आदि तमाम मनमाफिक कार्य किए जाने पर भी उच्चाधिकारी उन पर मेहरबानी बनाए रहते हैं। ऐसे में कार्रवाई के दायरे में आने वाले तमाम शिक्षक खुद को शोषित महसूस कर रहे हैं।
“बीईओ की अभी तक कोई शिकायत मुझे नहीं मिली है कि वह अपने तैनाती स्थल पर नहीं रूकते हैं। इसलिए कार्रवाई नहीं की जा सकी है। फिर में देखता हूं।”-संजय तिवारी, बीएसए उन्नाव
“ब्लॉक में भी परिवर्तन जरूरी
अभी तक ज्यादातर बीईओ को उनके गृह जनपद के नजदीक के ब्लॉक आवंटित है। इसमें भी उच्चाधिकारियों को गंभीरता दिखाकर इनके ब्लॉक बदलने चाहिए ताकि व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।