यूपी के संस्कृत स्कूलों में जल्द ही संविदा पर 2000 शिक्षक भर्ती किए जाएंगे। इसके साथ ही दो वर्ष पूर्व संविदा पर भर्ती किए गए 440 शिक्षकों की सेवा का भी नवीनीकरण किया जाएगा। भर्ती व नवीनीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर हो सकेगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संविदा पर शिक्षकों के भर्ती किए जाने एवं पहले से संविदा पर कार्य कर रहे शिक्षकों की सेवा का नवीनीकरण किए जाने का एक प्रस्ताव शासन को भेजा है।
राज्य के संस्कृत विद्यालयों में वर्ष 1990 से कोई भर्ती नहीं हुई है। कारण कुछ मंडलों में उस समय संयुक्त शिक्षा निदेशकों के स्तर से भर्तियां शुरू कराई गई थीं लेकिन किन्हीं कारणों से उन पर विवाद हो गया और मामला कोर्ट में चला गया। उसके बाद से शिक्षकों की भर्तियां लम्बित हैं। नई भर्तियां ना होने से तमाम स्कूल शिक्षक के अभाव में बंदी की कगार पर हैं।
दूसरी तरफ स्थाई भर्तियां नियमों के फेर में फंसी हुई हैं। पूर्व में प्रदेश के सभी संस्कृत विद्यालय संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। वर्ष 2000 में संस्कृत शिक्षा बोर्ड बन गया और इन स्कूलों को बोर्ड से जोड़ दिया गया लेकिन तब भी भर्तियों की कोई प्रक्रिया तय नहीं हो पाई। वर्ष 2016 में एक शासनादेश हुआ जिसमें कहा गया कि इनकी भर्तियां भी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से कराई जाएंगी परन्तु इसके लिए चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन होना है जो अब तक नहीं हो पाया है।
प्रदेश में 973 इंटर कॉलेज हैं जिसमें मानकों के अनुसार 4,865 शिक्षक होने चाहिए। स्थाई शिक्षकों की भर्ती ना होने के कारण 2 साल पहले सरकार ने 500 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन इनमें भी 440 शिक्षकों की ही भर्ती हो पाई। इनको भी जोड़ दिया जाए तो 40 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली हैं। अब इन खाली पदों पर संविदा पर भर्ती की तैयारी विभाग कर रहा है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
सूत्र बताते हैं कि बीती 6 जनवरी को इस बारे में एक बैठक भी कराई गई है। साथ ही नवीनीकरण प्रक्रिया में भी बदलाव की कवायद शुरू कर दी गई है। जो 440 शिक्षक दो साल पहले भर्ती किए गए थे उनका भी कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है। इनके नवीनीकरण के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है।