राजधानी में पेयजल के लिए कई बड़ी योजनाएं चल रही हैं। पहले भी चलीं लेकिन इसके बावजूद शहर के 16 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें पेयजल का कोई इंतजाम ही नहीं है। इन बच्चों को पीने के पानी के लिए या तो घर से बोतल लाना पड़ता है या फिर स्कूल से बाहर निकल कर पास के नलों व पानी की टंकी पर जाना पड़ता है।
पहले जेएनएनयूआरएम योजना पेयजल के लिए आई। फिर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत तमाम काम हुए। जल जीवन मिशन और अमृत जैसी योजनाएं भी चल रही हैं। लेकिन शहर के ही सरकारी प्राइमरी तथा उच्च प्राइमरी स्कूलों के बच्चों के पीने के पानी का कोई इंतजाम ही नहीं है। स्कूलों के बच्चों को आज भी पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है। जो बच्चे कुछ सक्षम हैं वह अपने घरों से पानी की बोतल ला रहे हैं। लेकिन जो सक्षम नहीं हैं उन्हें पीने के पानी के लिए स्कूलों से बाहर जाना पड़ता है। इन 16 स्कूलों की स्थिति तो काफी ज्यादा खराब है। इनमें से कुछ स्कूलों में तो आज तक पानी के लिए कोई बोरिंग भी नहीं है। जबकि कुछ स्कूलों में पूर्व में लगे सबमर्सिबल पंप खराब हो चुके हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी दावे कर रहे हैं लेकिन लखनऊ की हकीकत यही है। सोमवार को हिन्दुस्तान ने मुआयना किया तो यही तस्वीर दिखी।
● स्कूलों के बाहर हैंडपंप, टंकियों पर पानी पीते हैं बच्चे
● सरकारी दावों के इतर संकट बरकरार
न्यू ऐशबाग, बेसिक शिक्षा परिषद नगर स्कूल में नलकूप खराब है, लाइन से पानी पीते बच्चे
इन स्कूलों में नहीं है पानी
प्राइमरी स्कूल आजाद नगर, कंपोजिट स्कूल कनौसी प्रथम, प्राइमरी स्कूल नादरगंज, सरोजिनी नगर, इरादत नगर, शांति नगर, तकरोही, त्रिवेणी नगर, कंपोजिट स्कूल 35 पीएसी, प्राइमरी घोसियाना, बाजार झाऊलाल, बरीकला, माधवपुर, मल्टीस्टोरी पारा, नौबस्ता तथा न्यू ऐशबाग प्राइमरी तथा अपर प्राइमरी स्कूलों में पानी नहीं। इनमें 454 बच्चे जूनियर स्कूलों में तथा 2085 बच्चे प्राइमरी स्कूलों में हैं।