नए सत्र के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबें – कार्य पुस्तिकाओं का वितरण शुरू किया
पिछले वर्ष की किरकिरी से विभाग ने लिया सबक
पहली बार स्कूल खुलने के साथ ही बच्चों को मिल जाएंगी किताबें
हर जिले को कक्षा एक- आठ तक की एक-एक लाख किताबें भेजीं
लखनऊ। पहली बार प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के खुलने के साथ ही बच्चे नई किताबों से पढ़ाई करेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबें और कार्य पुस्तिकाओं का वितरण शुरू कर दिया है। प्रदेश के सभी बीएसए कार्यालय को एक-एक लाख से अधिक किताबें और कार्य पुस्तिकाएं भेजी जा चुकी हैं। मार्च के आखिर तक सभी किताबें कार्य पुस्तिकाएं मुहैया करा दी जाएंगी। ताकि बीते वर्षों की तरह बच्चों को किताबों के लिए जद्दोजहद न उठानी पड़े। पढ़ाई न पिछड़ने पाए।
आधे सत्र के बाद मिली किताबें सत्र 2022-23 में पढ़ाई कर रहे छात्रों को आधे सत्र के बाद किताबें मिली थीं। जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई । शिक्षकों ने फटी व पुरानी किताबों से बच्चों की पढ़ाई करायी। नवम्बर तक बच्चों को किताबें वितरित की गईं। इसको लेकर विभाग की बड़ी किरकिरी हुई। जिसके चलते स्कूल महानिदेशक विजय किरण आनंद ने समय से टेंडर कराकर जिले में किताबें पहुंचाने के निर्देश जारी किये। किताबों का वितरण शुरू हो गया है।
नौनिहालों को किताबों का नहीं करना होगा इंतजार: प्राथमिक स्कूलों के नौनिहालों को नए सत्र में किताबों के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्कूल खुलने के पहले दिन से बैग में नई किताबें होंगी। बीएसए ने किताबों के वितरण की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। खण्ड शिक्षा अधिकारियों को वितरण सम्बंधी निर्देश जारी किये जा चुके हैं। स्कूलों से छात्र संख्या मांगी जा रही है। मार्च में हर हाल में किताबें स्कूलों में पहुंचा दी जाएंगी।
लखनऊ को मिली 1.89 लाख किताबें : बीएसए अरुण कुमार ने बताया कि लखनऊ में कक्षा एक से आठ की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या करीब दो लाख है। इन्हें करीब 17 लाख किताबें एवं कार्य पुस्तिकाएं वितरित की जाती हैं। अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र के लिए विभाग की ओर से 1.89 लाख किताबें मिल गईं। इनमें वाटिका, फुलवारी, इंग्लिश रीडर, हमारा इतिहास नागरिक जीवन, भारत की महान विभूतियां, गणित ज्ञान समेत दूसरी किताबें शामिल हैं।
अप्रैल से प्राथमिक स्कूलों में नया सत्र शुरु होगा। मौजूदा सत्र की छात्र संख्या के अनपात में किताबें जिले वार भेजी जा रही हैं। ताकि स्कूल खुलने के पहले दिन से बच्चों को किताबें दी जा सकें।
पवन सचान, पाठ्य पुस्तक अधिकारी