Home PRIMARY KA MASTER NEWS OPS : फार्मूला बना नहीं, लागू करने की राह में खड़े हो गए दो रोड़े

OPS : फार्मूला बना नहीं, लागू करने की राह में खड़े हो गए दो रोड़े

by Manju Maurya

नई दिल्ली/ शिमला। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को कैबिनेट में मंजूरी देने के बाद अभी तक इसे लागू करने का फार्मूला नहीं बना पाने वाली हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के सामने दो नए रोड़े और खड़े हो गए हैं। एक तो ओपीएस लागू करने पर केंद्र सरकार से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान अतिरिक्त कर्ज प्रदेश सरकार को नहीं मिलेगा, वहीं दूसरी ओर एनपीएस के तहत आने वाले प्रदेश के 1.36 लाख कर्मचारी अब इस फंड से अपने हिस्से की राशि का 25 फीसदी भी नहीं निकाल सकेंगे.

अभी राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब ने नई पेंशन प्रणाली को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना को लागू किया है। हिमाचल प्रदेश भी इसे लागू कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के सत्ता संभालने के 56 दिन बाद भी सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू पुरानी पेंशन बहाली का फार्मूला तैयार नहीं कर पाए हैं।

एनपीएस के तहत आने वाले प्रदेश के कर्मचारी अब इस फंड से अपने हिस्से की राशि का नहीं निकाल सकेंगे। इसका कारण यह है कि नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड ने कर्मियों को अपना शेयर निकालने के लिए दिया गया विकल्प वेबसाइट से निकाल दिया है.

एनपीएस फंड से राशि निकालने के लिए प्रदेश के कर्मचारियों ने आवेदन किया है। प्रति माह कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी एनपीएस फंड कटता है। 14 फीसदी राशि सरकार की ओर से जमा करवाई जाती है। एनपीएस कर्मचारी अपने सेवाकाल में तीन बार इस फंड से 25-25 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। बीते दिनों कई कर्मचारियों ने वेबसाइट पर आवेदन करना शुरू किया तो वहां इसका विकल्प ही नहीं मिला। इससे कर्मचारियों में भारी रोष है। नई पेंशन प्रणाली के तहत राज्य सरकारें अपना और कर्मचारी के वेतन का एक तय हिस्सा पेंशन फंडिंग रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी को देती हैं, जिसे बाद में कर्मचारी को पेंशन के रूप में दिया जाता है। इसके तहत पेंशन फंडिंग एडजस्टमेंट के तहत राज्य सरकारें केंद्र से अतिरिक्त कर्ज ले सकती हैं।

यह अतिरिक्त कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का तीन फीसदी तक हो सकता है। ओपीएस के तहत कर्मचारी को उसके अंतिम वेतन की आधी रकम सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के तौर पर मिलती है। ओपीएस लागू करने से केंद्र से अतिरिक्त कर्ज नहीं मिलेगा तो इससे सरकारों के खजाने पर दबाव पड़ेगा। योजना आयोग के पूर्व चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया समेत कई आर्थिक विशेषज्ञों ने भी ओपीएस लागू करने पर चिंता जताई है। इसकी वजह यह है कि इसके लागू होने से राज्यों के पास स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कम पैसा बचेगा।

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