वरिष्ठता के विषय में निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
परिषदीय शिक्षकों के पूर्व में 4 संवर्ग थे बाद में कोर्ट के फैसले के बाद तीन संवर्ग हो गए
1- स अ प्राथमिक
2-प्र अ प्राथमिक / सअ, उच्च प्राथमिक3-प्र अ उच्च प्राथमिक
विगत वर्षो से केवल प्रारंभिक पद संवर्ग स अ प्राथमिक पर ही नियुक्तियां हुईं हैं। वरिष्ठता का निर्धारण चयन समिति के द्वारा चयनित सूची जिसमे मैरिट गुणांक अंकित हो।
ज्येष्ठता का आधार का क्रम
1 -प्रथम नियुक्ति (मौलिक नियुक्ति) तिथि
2-सूची में मेरिट गुणांक
3-जन्म तिथि
4-एल्फाबेट (नियम 22 नियम 17 एवं 18 के अनुसार
यूपीएस में विज्ञान के पदों का कोई अलग से पद सृजन नही, उन्ही पदों में एक विज्ञान गणित के शिक्षक की अनिवार्यता आरटीई के आधार पर 2013 के अनुसार 29300 50% पद सीधी भर्ती से 29300 प्रमोशन से भरे जाएंगे।
सीधी भर्ती के किये टेट उच्च प्राथमिक अनिवार्यता
सीधी भर्ती वालो को पदोन्नति से पहुंचे शिक्षकों से नीचे रखा जाए
अर्थात इनसे पहले जो भी सअ, उच्च प्राथमिक में कार्यरत हैं सब वरिष्ठ एक ही डेट में सीधी भर्ती और पदोन्नति होने पर पदोन्नति वालो को इनसे ऊपर अर्थात उस डेट के बाद पदोन्नति होने वाले सीधी भर्ती से नीचे।
न्यूनतम 3 वर्ष की सेवा के बाद ही उच्च प्राथमिक हेड पद पर प्रोन्नति यह सभी के लिए अनिवार्य है, पदोन्नति वालो को भी 3 वर्ष पूरा होना अनिवार्य है। अतः जब सीधी भर्ती अस्तित्व मे होगी तो दोनों की सम्मिलित सूची बनाए जाने के निर्देश हैं। (यहाँ यह कहना उचित होगा की इनकी ज्येष्ठता का निर्धारण इनके सीधी भर्ती में जारी चयन सूची पर आधारित प्रथम नियुक्ति मैरिट गुणांक ,जन्मतिथि)
अब जब उच्च प्राथमिक हेड के लिए इनकी पदोन्नति सूची बनेगी तो इनसे पहले उन शिक्षकों को पहले रखा जाएगा जिनकी पदोन्नति तिथि इनकी सीधी भर्ती की दिनांक से पहले है और जिनकी पदोन्नति तिथि सीधी भर्ती के दिनांक से बाद की है उन्हें बाद में।
यहाँ यह बताना भी उचित की इन्हें अलग कैडर प्रदान नहीं किया गया है इसलिए उच्च प्राथमिक के हेड पद पर किसी भी तरह विषय तथा सीधी भर्ती के लाभ से इन्हें पहले पदोन्नत नहीं किया जाएगा। सभी के लिए सभी विषयों के लिए एक ही सूची बनेगी। इसलिए पदोन्नत पाये शिक्षको की प्रथम नियुक्ति तिथि के साथ पदोन्नत तिथि जरूरी। लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में जब सीधी भर्ती अस्तित्व में नहीं है, पदोन्नति तिथि का होना न होना गैर जरुरी है, मौलिक नियुक्ति ही पर्याप्त है।
अब प्रश्न यह है कि क्या फर्क पड़ेगा अगर प्रथम नियुक्ति तिथि न होकर पदोन्नति तिथि से वरिष्ठता बनेगी तो इसके उत्तर में स्पष्ट है की पदोन्नति तिथि से ज्येष्ठता बनाने पर चयन सूची मैरिट आधारित ज्येष्ठता समाप्त हो जायेगी परिणामी लाभ देने पड़ेंगे, जो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवमानना हॉगी। सिंचाई विभाग के मामले में अभी कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इनको पीछे न किया जाए केवल वहां रोके रखा जाए जब तक इनके वरिष्ठ इनके बराबर न आ जाएँ।
पूर्व में जनपदों द्वारा कार्यभार ग्रहण तिथि को वरिष्ठता का आधार बनाया गया जो गलत था। कार्यभार तिथि सेम होने पर डेट ऑफ़ बर्थ को प्रधानता दी गई वह भी गलत इन दोनों के चलते चयन सूची मैरिट गुणांक व् प्रथम नियुक्ति तिथि की अनदेखी की गई जो अत्यंत जरुरी विषय है।
उच्च प्राथमिक हेड के सीमित पद पर पदोन्नत होने के लिए प्रथम नियुक्ति तिथि और मैरिट गुणांक आधारित वरिष्ठों को इन्तजार करना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बिना कारण बिना कर्मचारी की गलती के अगर किसी कर्मचारी की वरिष्ठता गई है तो वह सेवा में चयन सूची के आधार पर अपनी ज्येष्ठता पाने का अधिकारी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से आरक्षण सहित कई बिंदु आ सकते हैं जिसके कारण कर्मचारी को वरिष्ठता खोनी पड़ी है इस स्थिति में ज्येष्ठता सूची बनने से ऐसे शिक्षक कर्मचारी पुनः अपनी ज्येष्ठता पा सकेंगे।
अपवाद स्वरूप् उपरोक्त सभी तथ्यों में अंतर्जनपदीय वालो को चयन सूची का अधिकार नहीं प्राप्त होगा क्योंकि यह जिले आधारित सर्विस है और अंतर्जनपदीय वाले शिक्षक अपने पूर्व जनपद में पद लियन समाप्त कर दूसरे जनपद में उस संवर्ग में नया पद लियन ग्रहण किये हैं अतः उन्हें ट्रान्सफर दिनांक तत्पश्चात प्रथम नियुक्ति तिथि तत्पश्चात डेट ऑफ़ बर्थ के आधार पर संवर्ग में सबसे नीचे स्थापित किया जाएगा। जबकि वहां भी यह में आया है कि एक ही डेट में हुए स्थानांतरण में जनपद में आए शिक्षकों में उन्हें वरिष्ठता दी गई जिन्होंने जनपद में आकर पहले ज्वाइन कर लिया यह भी नियम 22 (2) के विपरीत है।
अंतिम निष्कर्ष- सही ज्येष्ठता निर्धारण के लिए मौलिक नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता सूची बनाई जानी आवश्यक है तभी 100 %सही वरिष्ठता सूची बन सकती है।
मौलिक शब्द की उत्त्पति मूल शब्द से है अर्थात कर्मचारी की मूल सेवा उत्त्पति अर्थात सेवा में आने की प्रथम तिथि ( first appointment date)