लखनऊ। मृतक आश्रित कोटे के आवेदन को महज इस लिए निरस्त नहीं किया जा सकता कि वह पांच साल के बाद किया गया है। इस लिए पांच वर्ष की देरी से किए गए मृतक आश्रित कोटे के आवेदन पर शासन दो माह में निर्णय करें। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पार्वती बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य के वाद में दिया।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याची के आवेदन को अस्वीकार किए जाने के पुलिस अधीक्षक रेलवे मुरादाबाद के आदेश को भी निरस्त कर दिया। याची पार्वती के अधिवक्ता दीपक सिंह ने कोर्ट को बताया कि याची के पिता की मृत्यु वर्ष 2007 में हुई थी। तब उसकी आयु केवल 11 वर्ष थी। इसलिए बालिग होने के बाद उसने मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने के लिए आवेदन किया था।
पुलिस अधीक्षक रेलवे मुरादाबाद ने याची के आवेदन को मृतक आश्रित नियमावली 1974 के नियम पांच का पालन किए बिना ही सिर्फ इस लिए अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह पांच साल की समय सीमा के बाद किया गया था। इसे निरस्त करने से पहले शासन के पास भी नहीं भेजा गया।