यूपी सरकार ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वे जनप्रतिनिधियों का पूरा सम्मान करें और उनके फोन आने पर कॉल जरूर रिसीव करें। अगर वे बैठक में हैं तो काल की सूचना मिलने पर तत्काल ही जनप्रतिनिधि को कॉल बैक करेंगे। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो अब संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही का प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेज दिया जाएगा।
दरअसल, पिछले विधानसभा सत्र के दौरान कई दलों के सदस्यों ने मांग उठाई थी कि जिलों में तैनात पुलिस अधीक्षक, डीएम व अन्य प्रशासनिक अधिकारी उनके फोन नहीं उठाते। जनता से जुड़े कामों के लिए अधिकारियों से संपर्क करना मुसीबत बनता जा रहा है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि अधिकारियों को सख्त हिदायत दी जाएगी कि वे विधायकों का फोन उठाएं और शिकायतों का वाजिब हल कराएं।
इस मामले में अब संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव ने आदेश सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, मंडलायुक्त व डीएम को दिया है। असल में इसी महीने हुई संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठक में कहा गया था जिला स्तर पर अधिकारी जनप्रतिनिधियों को प्रोटोकाल नहीं दे रहे हैं। वे जनप्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाते हैं।
अधिकारियों से तीन महीने की सूचना मांगी गई
संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव जेपी सिंह ने कहा है कि सांसदों व विधानसभा व विधान परिषद सदस्यों के पत्रों पर प्रभावी कार्यवाही करने व इसके लिए नोडल अधिकारी नामित करते हुए इसकी सूचना शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया था। कुछ विभाग व जिलों द्वारा अपेक्षित सूचनाएं समय से उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। यह स्थिति खेदजनक है। आपसे पुन अनुरोध है कि इस तरह के शासनादेश का कड़ाई से पालन कराते हुए एक अक्तूबर 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक की वांछित सूचनाएं 15 दिन में उपलब्ध कराएं। इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों आदि को पत्र भेजा गया है