प्रयागराज। नए सत्र की शुरुआत में महज दो दिन बाकी हैं, लेकिन अभिभावकों की चिंता बढ़ने लगी है। इसके पीछे बड़ा कारण है कि बच्चों की किताबों और स्टेशनरी के बढ़े हुए दाम पिछले सालों के मुकाबले इस बार किताबों के सेट और स्टेशनरी में करीब 24 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है, जबकि अभी स्कूल ड्रेस, फीस आदि बाकी है। ऐसे में बच्चों की किताबें लेने दुकान पहुंच रहे अभिभावकों के चेहरों पर अप्रैल माह में बढ़े हुए खर्च को लेकर शिकन साफ देखी जा सकती है।
शहर के निजी स्कूलों ने खुद तो किताब, स्टेशनरी, स्कूल यूनिफार्म आदि बेचना भले ही बंद कर दिया है, लेकिन उन्होंने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में दुकानों को तय कर रखा है। किताबों के सेट के नाम पर किताबों के साथ ही रिफरेंस बुक, कापियां, किताबों पर चढ़ाने वाली जिल्द, वर्कबुक आदि को एक साथ हजारों रुपये में बेचा जाता है।
किसी भी एक विषय की एक किताब दुकानों पर मिलना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसे में अभिभावकों को मजबूरी में बच्चों के लिए पूरे सेट की किताबों को लेना मजबूरी हो जाती है। किताबों की कुछ दुकानों पर छूट के नाम पर किताबों पर चढ़ने वाली जिल्द दे देते हैं। यह हाल शहर के लगभग सभी निजी स्कूलों का है। इसमें बड़ा खेल कमीशन बाजी का होता है।
स्टेशनरी और अलग-अलग कक्षाओं की किताबों के सेट के अलावा भी दुकानदारों के यहां लगी सूची में अलग-अलग किताबों और प्रैक्टिस बुक की लिस्ट भी कक्षावार शामिल की गई है। इसमें प्री राइटिंग बुक, हिंदी प्रवेश ईवीएस डब्ल्यूबी, इंग्लिश डब्ल्यूवी, लिटिल आर्ट, एक्टिविटी, जीओ क्रिएटिव, वैल्यूम, मेंटल मैथ, कंप्रिनसन, गणित, भूगोल समेत अन्य किताबों को शामिल किया गया है। सेट के अलावा इन किताबों को लेना अभिभावकों की मजबूरी है।
दसवीं से महंगी कक्षा छह से नौवीं तक की किताबें
प्रयागराज। निजी स्कूलों की किताबों के दामों में खास बात है कि इसमें दसवीं से ज्यादा महंगी कक्षा छह से नौवीं तक की किताबें हैं। विभिन्न स्कूलों की किताबों के सेट दसवीं का लगभग 6450 रुपये के आस-पास है। वहीं कक्षा छह की किताबों की कीमत 8670, सातवीं का 8670, आठवीं 8780 और नौवीं की 8260 रुपये के करीब है। कुछ स्कूलों में किताबों के पूरे सेट की कीमत पिछले साल के मुकाबले दो हजार रुपये तक की बढ़ोतरी इस बार देखने को मिल रही है। हिंदी माध्यम के निजी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक की किताबों की कीमत 1700 रुपये से लेकर 2300 रुपये तक है।
किताबों के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में अप्रैल महीने का खर्च अभी से बिगड़ रहा है, अभी दोनों बच्चों की फीस जमा करना बाकी है। एक बेटा कक्षा छह और दूसरा आठवीं में पढ़ता है। अशीष, मीरापुर
हर साल यही हाल होता है, अच्छे स्कूल में पढ़ाने का मतलब हजारों रुपये किताब, कॉपी, स्कूल ड्रेस आदि में खर्च हो जाते हैं, लेकिन इस पर कोई बस नहीं है। बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना तो है ही। सौरभ गुप्ता, मुट्ठीगंज
किताबों के सेट के अलावा रिफरेंस बुक भी खर्च बढ़ाती हैं। इसके कारण किताब, कॉपी आदि का खर्च छह हजार से ऊपर चला गया। एक अप्रैल के बाद दाखिला भी कराना है। उसमें सालाना फीस भी जमा करनी है। सौरभ सिंह, राजापुर
हर साल किताबें बदल जाती हैं या उनमें कई पाठ बदल जाते हैं। ऐसे में नई किताबों को लेना मजबूरी होती है। रिफरेंस बुक के नाम पर दुकानदार मनमानी कीमत वसूलते हैं। स्कूल भी इन किताबों को लेना अनिवार्य करते हैं। अनिकेत जयसवाल, मुट्ठीगंज