प्रयागराज : परिषदीय बेसिक विद्यालयों में शिक्षक बनने की उम्मीद में लाख से ज्यादा अभ्यर्थी डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) का प्रशिक्षण प्रति वर्ष प्राप्त कर रहे हैं। इसके बाद भी इनको यह पता नहीं कि भर्ती कब आएगी।
चार वर्ष से तो भर्ती आई नहीं, लेकिन बेसिक शिक्षक भर्ती में चार वर्ष पहले बीएड प्रशिक्षितों को भी अवसर देने से उनमें चुनौती और बढ़ गई है। ऐसे में नए अभ्यर्थियों ने बेसिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए जरूरी अर्हता डीएलएड का प्रशिक्षण लेने की जगह पर बीएड प्रशिक्षण की ओर झुकाव बढ़ा लिया है।
बीएड की डिग्री से बेसिक के साथ प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) एवं प्रवक्ता संवर्ग (पीजीटी) भर्ती परीक्षा में भी शामिल होने के विकल्प उपलब्ध हैं। डीएलएड प्रशिक्षित बेसिक शिक्षक भर्ती की प्रतीक्षा तो कर ही रहे हैं। इसमें अब बीएड प्रशिक्षित भी सम्मिलित हो गए हैं। वर्ष 2018 की 69000 शिक्षक भर्ती में बीएड प्रशिक्षितों ने भी आवेदन किए थे, जिनकी संख्या परीक्षा में सम्मिलित डीएलएड प्रशिक्षितों के दोगुने से भी ज्यादा थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में शिक्षक छात्र के अनुपात का आकलन शुरू कराए जाने से अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि इसके लिए गठित समिति की रिपोर्ट के बाद नई भर्ती आ सकती है। टीजीटी- पीजीटी की भर्ती करने वाली संस्था के सभी सदस्यों के कार्यमुक्त होने से यह भर्ती भी खटाई में पड़ गई।
सरकार ने बेसिक से उच्च शिक्षण संस्थानों तक में शिक्षक भर्ती के लिए नया आयोग उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित करने का निर्देश दिया है।