उत्तर प्रदेश सरकार का 25 मार्च को छह साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रदेश के कार्यरत लगभग 1.40 लाख शिक्षामित्रों को सरकार से सुनहरे भविष्य की आस है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने मांग की है कि सरकार इस अवसर पर उन्हें भी बेहतर भविष्य का तोहफा दे।
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्र 2001 से कार्यरत हैं। जो काम तो सामान्य शिक्षकों की भांति करते हैं, लेकिन उन्हें बेहतर मानदेय व प्रोत्साहन नहीं मिलता है। 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त करने के बाद से उनको मात्र 10,000 प्रति माह मानदेय मिल रहा है। इस मानदेय से वह इस महंगाई में अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी सक्षम नहीं हैं।
संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। काफी शिक्षामित्र अवसाद में हैं। संघ मुख्यमंत्री से मांग करता है कि शिक्षामित्रों की समास्याओं का जल्द निराकरण करें, जिससे वह भी सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।