प्रमुख लखनऊ:प्रदेश में बालिका शिक्षा के ग्राफ को बढ़ाने के लिए मातृ शक्ति को जागरूक करेगा बेसिक शिक्षा विभाग। इसके लिए शिक्षा विभाग फतेहपुर के मलवां ब्लाक स्थित कम्पोजिट विद्यालय में संचालित महिला जागरूकता कार्यक्रम को रोल मॉडल के रूप में अपनाया जाएगा और उसे प्रदेश भर में लागू किया जाएगा ताकि बालिका शिक्षा के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ सके।यहां यह उल्लेखनीय है कि फतेहपुर के मलवां ब्लाक के कम्पोजिट विद्यालय की प्राध्यापिका नीलम भदौरिया ने कुछ बालिकाओं की शिक्षा में बाधक बन रही उनकी माताओं व अन्य सगे-संबंधियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए व्यक्तिगत रूप से करीब तीन साल पूर्व अभियान शुरू किया था। इसके तहत बालिकाओं के साथ-साथ उनकी अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी माताओं एवं अन्य महिला सगे-संबंधियों को खेलकूद व कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से साक्षर बनाने का कार्य शुरू किया गया। बकौल नीलम भदौरिया, स्कूल नहीं पहुंच पाने वाली बच्चियों से बातचीत करने पर पता चला कि वह पढ़ना चाहती हैं लेकिन उनकी माताएं या उनके निकट के रिश्तेदार उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं।इसके बाद उन्होंने महिलाओं को साक्षर करने के लिए बकायदा ‘ईच वन टीच वन नीति बनाकर उसकी सारणी तैयार की। इसके बाद विद्यालय में ही समर कैंप, माहवारी स्वच्छता अभियान, हुनर सृजन (बालिका एवं मातृ शक्ति), सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण, ब्यूटीशियन प्रशिक्षण, अचार चटनी प्रशिक्षण, मिट्टी से मूर्ति, दीए आदि बनाने से लेकर कागज के लिफाफे बनवाना, जेन्डर इक्विटी आदि के कार्यक्रम का संचालन शुरू किया। इसके अलावा बाल विवाह, दहेज प्रथा तथा यौन हिंसा जैसी कुरितियों के खिलाफ नुक्कड़ नाटक टीम बनाई, जिसमें हर आयु की महिलाओं को शामिल किया। प्रतिदिन स्कूल के आसपास के गांवों की महिलाओं को स्कूल के प्रांगण में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खेलकूद का आयोजन किया जाने लगा।इसके अतिरिक्त मिशन शक्ति के तहत हस्ताक्षर अभियान चलाकर आसपास के गांवों के महिलाओं को भी इस अभियान से जोड़ा गया। नतीजा, स्कूल में बालिकाओं की उपस्थिति शत-प्रतिशत होने लगी। इस अभियान की जानकारी के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसे जागरुकता कार्यक्रम को प्रदेश के अन्य जिलों में भी शुरू कराने का निर्णय किया है। इसके तहत सभी कम्पोजिट विद्यालयों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा ताकि पूरे प्रसेश में बालिका शिक्षा का ग्राफ शीर्ष तक पहुंच सके।
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