लखनऊ। बच्चों, अपनी कॉपियां खोलकर पहले प्रश्न नोट कर लो। उत्तर के लिए जगह छोड़ देना…। बाद में प्रश्नपत्र हल करना। कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षा के दौरान देखने को मिला। कहीं गुरुजी ने बोल-बोलकर प्रश्न नोट करवाए, तो कहीं ब्लैक बोर्ड पर चॉक से शिक्षिकाओं ने प्रश्नपत्र लिखवाया।
सोमवार से शुरू हुई परिषदीय स्कूल की परीक्षाओं के लिए स्कूलों तक बजट नहीं पहुंच पाया। नौनिहालों की पढ़ाई को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की संजीदगी का पता इसी से लगाया जा सकता है कि पहले दिन जब शिक्षकों ने बीएसए कार्यालय में फोन कर प्रश्नपत्रों के न पहुंचने की बात कही तो जवाब मिला… किताब से देखकर दो चार प्रश्न नोट करवा दीजिए। सोमवार को कक्षा एक की वार्षिक परीक्षा मौखिक, कक्षा 2 से 5 की वार्षिक परीक्षाएं लिखित और मौखिक और कक्षा 6 से 8 तक की वार्षिक परीक्षाएं लिखित रूप से शुरू हुईं। चंद स्कूलों में ही कृषि का पेपर पहुंचा। वहीं, खेल व शारीरिक शिक्षा और स्काउट गाइड का प्रश्नपत्र स्कूलों में नहीं पहुंच पाया। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि सोमवार को सुबह 8 बजे पानी में भीगते हुए शिक्षकों ने बीआरसी से पेपर लिए जूनियर स्कूलों में दूसरी पाली का पेपर भी नहीं दिया गया। कॉपियों का न तो कोई बजट दिया और न कोई निर्देश दिया। अपने खर्च पर कॉपियां मंगवाकर परीक्षा करवानी पड़ी।
एक रुपये वाली कॉपियां मंगाईं
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट से उत्तरपुस्तिकाएं मंगवाकर काम चलाया गया। कहीं शिक्षक एक रुपये वाली उत्तरपुस्तिकाएं लेकर आए, तो कहीं शिक्षिकाओं ने बच्चों को डेढ़ रुपये वाली कॉपियों पर पेपर हल करवाया। काकोरी में प्रश्नपत्र न पहुंचने पर शिक्षकों ने मोबाइल पर प्रश्नपत्र मंगवाए।