लखीमपुर। बेसिक के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार ने निपुण भारत मिशन की शुरुआत की है। हर कक्षा के बच्चों को निपुण बनाने के लिए भाषा और गणित की कार्ययोजना दी गई है। 2026 तक सभी बच्चों को निपुण बनाना है। सरकार के इस महत्वपूर्ण अभियान में भाग लेते हुए खीरी जिले के निघासन ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी डॉ. बृजेश त्रिपाठी के नेतृत्व में शिक्षकों ने विशेष प्रयास किया। इसका नतीजा यह हुआ कि निघासन के 95 स्कूलों ने निपुण दक्षता हासिल कर ली। 95 स्कूलों को निपुण बनाने वाला निघासन प्रदेश का पहला ब्लॉक है। बीईओ निघासन डॉ. बृजेश त्रिपाठी ने बताया कि सरकार से निर्धारित निपुण लक्ष्य हासिल करने के लिए शिक्षकों से विशेष प्रयास करने को कहा गया। बीआरसी पर आयोजित मासिक संकुल समीक्षा बैठक में प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के प्रयासों ब्लॉक के 95 विद्यालयों के बच्चों ने निपुण लक्ष्य में दक्षता हासिल कर ली है। उन्होंने बताया कि संकुल वार अगर देखा जाए तो नाय पंचायत सिंगाही के 15, गुलरिया पत्थरशाह के 17, गंगाबेहड़ के 16, खेरहनी के सात, रकेहटी के सात, लुधौरी के 17, खमरिया कोइलार के 10, सिंगाही कला के छह, मोहबतियाबेहड़ के छह परिषदीय विद्यालय निपुण विद्यालय बन गए हैं। ब्लॉक के 95 विद्यालय निपुण विद्यालय घोषित किए गए। शिक्षकों का कहना है कि सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लास होने के कारण बच्चों को निपुण बनाने में आसानी हुई। बच्चे अब मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं। बीईओ ने कहा कि जो लक्ष्य 2026 तक प्राप्त करना है वह निघासन के शिक्षक 2023 में प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए शिक्षकों को बधाई दी है।
स्मार्ट क्लास ने बदल दी सूरत
बीईओ डॉ.बृजेश त्रिपाठी ने शिक्षकों के सहयोग से सबसे पहले ब्लॉक के सभी 209 स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू कराई। क्षेत्रीय लोगों से सहयोग लेकर सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लास चलाने वाला पहला ब्लॉक निघासन बना। स्मार्ट क्लास शुरू होने के बाद स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति तो बढ़ी ही निपुण लक्ष्य हासिल करने में भी काफी सहायता मिली। बच्चे अब स्मार्ट क्लास में मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं। बीईओ ने बताया कि शिक्षक अब पूरी ऊर्जा के साथ शिक्षण कार्य में लगे हैं। इससे बच्चे तेजी से सीख रहे हैं। इसके अलावा नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा के पंजीकरण में भी निघासन ब्लॉक सबसे आगे रहा है। ज्यादा बच्चे प्रवेश परीक्षा पास कर सकें इसके लिए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों ने बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग की भी व्यवस्था की है।