बच्चों से मनमानी फीस लेने, पुस्तकें और यूनीफार्म बदलने और मनमाफिक दुकान व एजेंट के यहां से खरीदारी के लिए अभिभावकों पर दबाव डालने वाले निजी स्कूलों पर शिकंजा कसेगा। कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब ने इस बाबत सख्त निर्देश जारी किए हैं।
शनिवार को जारी आदेश में उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के प्रबंधक और प्रधानाचार्य नए शैक्षिक सत्र में बच्चों की यूनीफार्म, स्टेशनरी और पुस्तकों की बिक्री स्कूल परिसर में नहीं करेंगे। हर साल बच्चों की यूनीफार्म व पुस्तकें न बदलें। स्कूल की ओर से किसी खास दुकान व एजेंट से सामान खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव न डालें। कक्षावार फीस और पुस्तकों की सूची स्कूल की वेबसाइट और सूचना पट पर दर्ज करें। डीआईओएस सभी स्कूलों को यह जानकारी मुहैया करा इसका कड़ाई से पालन कराएंगे। शिकायत मिलने पर स्कूल प्रबंधन जिम्मेदार होंगे। कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब ने पुस्तक व्यापार मण्डल, आर्यनगर की शिकायत पत्र का संज्ञान लेते हुए यह दिशा-निर्देश शनिवार को जारी किया। व्यापार मण्डल ने शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि निजी स्कूल खुद के नामित एजेंट और दुकानों से छात्रों को यूनीफार्म, स्टेशनरी और पुस्तकें खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव डालत हैं, जिसका भार अभिभावकों पर पड़ता है।
फीस का ब्योरा साइट पर डालें
कमिश्नर ने कहा कि उप्र. स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018 के तहत डीएम की अध्यक्षता में गठित जिला शुल्क नियामक समिति को प्रत्येक स्कूल कक्षावार ली जाने वाली फीस का ब्योरा दें। इसे स्कूल की वेबसाइट और स्कूल के सूचना पट पर भी दर्ज करें।
सुझाव पुस्तकों का एक बुक बैंक बनाएं स्कूल प्रबंधन
डॉ. रोशन जैकब ने सख्त निर्देश दिये हैं कि स्कूल प्रबंधन हर साल बच्चों की यूनीफार्म और पुस्तकें न बदलें। स्कूल अपने मुनाफे लिए हर साल यूनीफार्म और पुस्तकों में बदलाव कर देते हैं। बदलाव न होने पर अभिभावकों को हर साल इन्हें खरीदने पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव न पड़ेगा। स्कूल प्रबंधन पुस्तकों का एक बुक बैंक बनाएं। यह पुस्तकें नए सत्र में दूसरे बच्चों के पढ़ने में प्रयोग आ सकें। कोई दुकानदार व एजेंट पुस्तक विक्रेता एवं प्रकाश की पुस्तकों का अवैध भण्डारण न करें। एनसीईआरटी व एनबीटी की गुणवत्ता एवं कम कीमत वाली पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल करें। इन्हें कुछ खास दुकान व एजेंट के यहां से खरीदने के लिए अभिभावकों को बाध्य न करें।