प्रयागराज | 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की तरफ से दिए गए फैसले का आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने विरोध किया है। कहा कि कोर्ट का फैसला आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है की हाई कोर्ट का फैसला बेसिक शिक्षा नियमावली के विरुद्ध है और भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करने की बजाय उलझा दिया है। ऐसा सरकार की कमजोर पैरवी के कारण हुआ।
मंगलवार को दलित पिछड़ा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि कोर्ट में सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी की गई। इसके कारण सरकार के द्वारा जारी 6800 चयनित अभ्यर्थियों की सूची रद्द कर दी गई और पूरी भर्ती प्रक्रिया को फिर से रिव्यू करने का आदेश दिया है।
अमरेंद्र पटेल ने कहा कि यदि सरकार मजबूत पैरवी करती तो आज पिछड़े वंचित समाज के अभ्यर्थियों को न्याय मिला होता। साथ ही सभी 6800 चयनित शिक्षक बनकर अपने स्कूलों में होते । पटेल ने बताया कि अपनी मांग को लेकर वह अपने इस आंदोलन को और तेज करेंगे साथ ही शिक्षा मंत्री आवास का घेराव भी करेंगे।
कहा कि सरकार अपनी मंशा स्पष्ट करें कि वह दलित, पिछड़े, वंचित वर्ग के संवैधानिक आरक्षण को देते हुए अभ्यर्थियों को न्याय देना चाहती है या नहीं। अमरेंद्र ने कहा कि हम शिक्षा मंत्री और सरकार के अधिकारियों पर दबाव बनाएंगे कि वह मामले को डबल बेंच में ले जाकर आरक्षण की नियमावली का सही पालन कराएं।
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन किया गया था, जिसमें आरक्षण की विसंगतियों के कारण आरक्षित वर्ग के कई अभ्यर्थी चयन पाने से वंचित रह गए थे।