लखनऊ। शिक्षक दिवस पर उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से दिए जाने वाले राज्य स्तरीय ‘सरस्वती पुरस्कार’ और ‘शिक्षक श्री पुरस्कार’ से जुड़ा एक नया विवाद सामने आ गया है। पुरस्कार घोषित कर दिए जाने के बाद भी बांटे न जाने के कारण उन शिक्षकों को सेवा विस्तार भी नहीं मिल पा रहा है, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया था।
मेरठ के एक एसोसिएट प्रोफेसर सेवा विस्तार की मांग करते-करते सेवानिवृत्त भी हो गए। यह पुरस्कार प्राप्त होने पर दो. वर्ष का सेवा विस्तार भी मिलता है। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव योगेन्द्र त्रिपाठी ने 12 अक्तूबर 2020 को निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र भेज कर दोनों श्रेणी के पुरस्कारों के लिए चयनित शिक्षकों की सूची भेजी थी। साथ ही पुरस्कार राशि के रूप में 25 लाख रुपये जारी किए जाने की जानकारी भी दी थी। इसमें कहा गया था कि निकट भविष्य में पुरस्कार वितरण किए जाने की तिथि निर्धारित की जाएगी।
यह अलग बात है कि पुरस्कार वितरण की तिथि अभी तक तय नहीं हो पाई। माध्यमिक शिक्षा ने हाल ही में अध्यापक पुरस्कारों की घोषणा की है। इसमें कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं, जो पुरस्कार प्राप्त होने से दो वर्ष का सेवा विस्तार पाएंगे। वे आगामी 31 मार्च को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे।
इनको मिलना था पुरस्कार
उच्च शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 के तीन सरस्वती पुरस्कारों के लिए लखनऊ विवि की प्रो. पूनम टंडन, प्रतापगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिकंदर लाल व प्रयागराज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतला प्रसाद वर्मा को चुना था। छह शिक्षक श्री पुरस्कारों के लिए मेरठ विवि के डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, लखनऊ विवि के डॉ. राजेश कुमार शुक्ला, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की प्रो. वंदना राय, हेमवंती नंदन बहुगुणा महाविद्यालय नैनी प्रयागराज के डॉ. राजेश कुमार पांडेय, फिरोज गांधी पीजी कॉलेज रायबरेली की डॉ. शीला श्रीवास्तव और एसबीडी कॉलेज धामपुर बिजनौर की डॉ. रेनू चौहान को चुना गया था। सरस्वती पुरस्कार के साथ तीन लाख और शिक्षक श्री पुरस्कार के साथ डेढ़ लाख रुपये की राशि भी दी जाती है।