राज्य उपभोक्ता आयोग का फैसला, मृतक की पत्नी को 23 साल बाद राहत
बीमा कंपनी को चुकाना होगा पांच लाख रुपये का दावा
अक्तूबर 99 में चुनाव ड्यूटी से लौटते समय बस हादसे में हुई थी सिपाही की मौत
लखनऊ। चुनाव ड्यूटी के लिए घर से मतदान केंद्र तक जाने और वहां से घर वापसी तक राज्य कर्मचारियों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। इसके लिए बीमा सुरक्षा का घेरा जरूरी है। ऐसे किसी हादसे में कर्मचारी की मौत हो जाने पर सामूहिक बीमा पॉलिसी का दावा बीमा कंपनी को चुकाना होगा।
यह अहम आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग की दो सदस्यीय न्यायिक पीठ ने पारित किया है। कहा है कि बीमा कंपनी अक्तूबर 1999 में चुनाव ड्यूटी से लौटते समय बस हादसे में हुई सिपाही की मौत पर 5 लाख रुपये के दावे का भुगतान करे। न्यायिक सदस्य सुशील कुमार व विकास सक्सेना की पीठ ने 23 साल से चल रहे वाद का निस्तारण करते हुए कहा कि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी दावा राशि के साथ ही मृतक की पत्नी को वाद दाखिल करने की तिथि 30 जुलाई, 2005 से भुगतान तिथि तक 6 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज और 25 हजार रुपये वाद खर्च भी चुकाएगी। बदायूं निवासी शशी शर्मा के पति अनिल कुमार शर्मा जिले में ही सिपाही के पद पर तैनात थे।
अक्तूबर 1999 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी तैनाती आजमगढ़ जिले में हुई थी। चुनाव ड्यूटी पूरी करने के बाद 4 अक्तूबर, 1999 को जब वह वापस लौट रहे थे, तभी उनकी बस एक पेड़ से टकरा गई। हादसे में अनिल की मौत हो गई। इसके बाद जब सामूहिक बीमा पॉलिसी के तहत क्लेम मांगा गया तो कंपनी ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि हादसा चुनाव ड्यूटी खत्म हो जाने के बाद हुआ है। ऐसे में क्लेम देय नहीं है। कंपनी के फैसले के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग से भी राहत न मिलने पर जुलाई, 2005 में राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दाखिल की गई।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने कहा कि इस मामले में बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लेख नहीं है, फिर भी बीमा सुरक्षा का यह घेरा घर से चुनाव स्थल तक जाने तथा चुनाव स्थल से वापस लौटने तक माना जाएगा। इसलिए जिला आयोग द्वारा पूर्व में पारित निर्णय व आदेश को निरस्त करते अपील स्वीकार की जाती है।