एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र 2023-24 शुरू होने जा रहा है, लेकिन यूपी बोर्ड से जुड़े राजकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इस कमी को दूर करने के लिए शासन के विशेष सचिव शंभु कुमार ने 22 जुलाई 2022 को सरप्लस शिक्षकों के समायोजन का आदेश जारी किया था, लेकिन सात महीने से अधिक का समय बीतने के बावजूद समायोजन नहीं किया जा सका।
इसका सबसे अधिक नुकसान ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को हो रहा है। क्योंकि ऊपर तक पहुंच रखने वाले शिक्षकों ने तो शहरी क्षेत्र के स्कूलों में जुगाड़ से तैनाती पा ली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जहां सालों से शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी है। यह स्थिति तब है जब राजकीय स्कूलों में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के 10322 पद खाली हैं।
शंकरगढ़ के जीजीआईसी में 22 में से दस पद खाली
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज शंकरगढ़ में शिक्षकों के 22 पदों में से दस खाली हैं। इंटर में गणित, भौतिक, रसायन व जीव विज्ञान के प्रवक्ता नहीं हैं तो हाईस्कूल में गणित व विज्ञान विषय के लिए शिक्षकों के दो-दो पद स्वीकृत हैं लेकिन एक भी शिक्षक नहीं है। वहीं राजकीय हाईस्कूल सोनवे डांडी में सहायक अध्यापकों के स्वीकृत सात में आधे से अधिक यानी चार पद खाली हैं।
यहां दो-दो पदों के सापेक्ष तीन-तीन शिक्षक
राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज में 96 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें चार ऐसे प्रवक्ता हैं जिनके विषय कॉलेज में पढ़ाए ही नहीं जाते। वहीं संगीत और शारीरिक शिक्षा के लिए स्वीकृत सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के दो-दो पदों के सापेक्ष तीन-तीन शिक्षक तैनात हैं।
प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र 2023-24 शुरू होने जा रहा है, लेकिन यूपी बोर्ड से जुड़े राजकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इस कमी को दूर करने के लिए शासन के विशेष सचिव शंभु कुमार ने 22 जुलाई 2022 को सरप्लस शिक्षकों के समायोजन का आदेश जारी किया था, लेकिन सात महीने से अधिक का समय बीतने के बावजूद समायोजन नहीं किया जा सका।
इसका सबसे अधिक नुकसान ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को हो रहा है। क्योंकि ऊपर तक पहुंच रखने वाले शिक्षकों ने तो शहरी क्षेत्र के स्कूलों में जुगाड़ से तैनाती पा ली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जहां सालों से शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी है। यह स्थिति तब है जब राजकीय स्कूलों में प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों के 10322 पद खाली हैं।