लखनऊ। पुरानी पेंशन के मामले में केंद्र की तर्ज पर अगर यूपी में भी निर्णय लिया जाता है तो करीब एक लाख सरकारी कार्मिक व शिक्षक लाभान्वित होंगे। यहां 1 अप्रैल 2005 से पहले विज्ञापित पदों पर भर्ती शिक्षक और कर्मचारी अपने लिए पुरानी पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं। यह मामला विधान परिषद में भी उठ चुका है।
केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को अधिसूचित किए जाने की तारीख 22 दिसंबर 2003 से पहले विज्ञापित या अधिसूचित पदों के तहत केंद्र की सेवाओं में शामिल होने वाले कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने के पात्र हैं। संबंधित कर्मचारी 31 अगस्त तक इस विकल्प का उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में एनपीएस 1 अप्रैल 2005 से लागू है। प्रदेश में शिक्षकों व लेखपालों के अलावा पीडब्ल्यूडी व कृषि समेत तमाम विभागों में ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी नियुक्ति की तिथि 1 अप्रैल 2005 या उसके बाद की है, लेकिन उनके पदों का विज्ञापन या नियुक्ति की प्रक्रिया इस तिथि से काफी पहले प्रारंभ हो चुकी थी। इसी तरह से संविदा कर्मी भी हैं, जिन्हें लंबी सेवा के बाद 1 अप्रैल 2005 या उसके बाद स्थायी किया गया। ये कर्मी भी पुरानी पेंशन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नियुक्ति की तिथि से नहीं, बल्कि पदों के विज्ञापित होने की तिथि को इस मामले में आधार माना जाना चाहिए शासन के एक अधिकारी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में इस मामले में कोई भी निर्णय उच्चस्तर से ही लिया जा सकता है.
प्रदेश सरकार कहती है कि केंद्र जो लागू करेगा, वहीं हम भी लागू करेंगे। इसलिए अब राज्य सरकार को भी 1 अप्रैल 2005 से पहले अधिसूचित या विज्ञापित पदों पर तैनात कर्मियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ देना चाहिए। -हरिकिशोर तिवारी, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
उत्तर प्रदेश में 80 हजार से लेकर एक लाख तक सरकारी कार्मिक व शिक्षक ऐसे हैं, जब उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन किया, तब प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम लागू थी, लेकिन नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के समय एनपीएस लागू हो गया। हमें आशा है। कि राज्य सरकार भी उनके लिए केंद्र की तर्ज पर निर्णय लेगी।
-अतुल मिश्रा, महामंत्री उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद