मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं शनिवार को नकलविहीन और सकुशल संपन्न हो गई। तीस सालों में ऐसा पहली बार हुआ कि परीक्षा केंद्रों से पेपरलीक, रांग ओपनिंग या सामूहिक नकल की एक भी शिकायत नहीं मिली। यही कारण था कि बोर्ड को इस साल परीक्षा समाप्त होने के बाद पुनर्परीक्षा नहीं करानी पड़ी। पेपरलीक न होने का मुख्य कारण देररात तक परीक्षा केंद्रों में बने स्ट्रांग रूमों की छापेमारी करना रहा। बोर्ड और शासन के अफसरों की निगरानी में जिलों में दस्ते बनाकर छापेमारी की गई।
पहली बार प्रश्नपत्रों को चार लेयर वाले मजबूत लिफाफे में रखने के कारण कहीं भी गलत प्रश्नपत्र (रांग ओपनिंग) नहीं खुला। सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने शनिवार को मीडिया को बताया कि बोर्ड की सख्ती का असर यह रहा कि 10वीं-12वीं में पंजीकृत 58,85,745 परीक्षार्थियों में से 4,31,571 ने परीक्षा छोड़ दी। आधार नंबर के जरिए 133 छद्म परीक्षार्थियों (सॉल्वर) को पकड़ा गया है। सभी को जेल भेजा जा चुका है और जिन स्कूलों से ये फर्जी परीक्षार्थी पंजीकृत थे उनकी मान्यता छीनने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। शनिवार को पहली पाली में व्यवसायिक वर्ग और दूसरी पाली में इंटर रसायन विज्ञान एवं समाजशास्त्रत्त् की परीक्षा हुई। इसमें पंजीकृत 21,16,095 में से 1,81,687 परीक्षार्थी गैरहाजिर रहे।
परीक्षा के दौरान मात्र 81 नकलची पकड़े गए
बोर्ड परीक्षा में इस बार नकल पर भी लगाम रही। सामूहिक नकल की सूचना कहीं से नहीं मिली। इस वर्ष 75 जिलों से मात्र 81 नकलची ही पकड़े गए। सीसीटीवी की निगरानी में परीक्षा कराने से नकल माफिया चालाकी नहीं दिखा पाए। बोर्ड सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि केंद्र के बाहर भी निगरानी रखी गई। किसी बाहरी आदमी को केंद्र के अंदर जाने नहीं दिया गया।
दूसरे प्रदेश के परीक्षार्थियों पर भी रही रोक
बोर्ड ने फॉर्म भरवाने में सावधानी बरती। पिछले वर्षों में बाहरी प्रदेशों के परीक्षार्थी बड़ी संख्या में फॉर्म भरते थे। पश्चिम के कुछ जिलों में यह व्यवसाय था। बोर्ड की सख्ती का नतीजा रहा कि इस बार पांच हजार परीक्षार्थी ही बाहरी प्रदेशों के रहे। जबकि पिछले सालों में इनकी संख्या 40 हजार के आसपास होती थी।