लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पहले चरण में 60 हजार बच्चों को नर्सरी व कक्षा एक में दाखिला दिलाया गया है। गरीब परिवारों के बच्चों को दाखिला देने के लिए अभी दूसरा व तीसरा चरण बाकी है। वहीं पिछले वर्ष तीनों चरणों में मिलाकर कुल 82 हजार बच्चों के प्रवेश हुए थे।
आरटीई पोर्टल पर 43,900 निजी स्कूल पंजीकृत हैं और इनमें 4.10 लाख सीटें हैं। अबकी शत-प्रतिशत सीटें भरने पर जोर दिया जा रहा है। वर्ष 2017 के बाद स्कूलों को अब फीस प्रतिपूर्ति के लिए 176 करोड़ रुपये का बजट भी मंगलवार को जारी किया गया है।
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की ओर से सभी मंडलों के सहायक शिक्षा निदेशकों (एडी बेसिक) व सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि शत-प्रतिशत सीटें भरने पर जोर दिया जाए। निजी स्कूलों के पास अब कोई बहाना नहीं है।
राज्य सरकार ने शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए भारी-भरकम बजट भी जारी किया गया है। फिलहाल अब जिलों में निजी स्कूलों पर शिकंजा कसेगा। ऐसे निजी स्कूल जो दाखिला लेने में आनाकानी करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बुधवार को वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों की प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी कि उनके यहां पहले चरण में कितने आवेदन आए और कितने बच्चों को प्रवेश मिला। निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब परिवार के बच्चों को नर्सरी व कक्षा एक में प्रवेश देने का नियम है। प्रत्येक बच्चे को राज्य सरकार की ओर से 450 रुपये प्रति महीने शुल्क प्रतिपूर्ति और साल में पांच हजार रुपये स्टेशनरी व यूनिफार्म इत्यादि के दिए जाते हैं।