प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक ही चयन प्रक्रिया के तहत चयनित अभ्यर्थियों को चयन सूची के आधार पर सेवा वरिष्ठता पाने का अधिकार है। बाद में नियुक्त अभ्यर्थियों को विभागीय गलती का दुष्परिणाम भुगतने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
कोर्ट ने कहा है कि घोषित चयन सूची में अपने से कनिष्ठ की नियुक्ति तिथि से बाद में नियुक्त अभ्यर्थी को वरिष्ठता सहित वेतनमान पेंशन निर्धारण आदि का लाभ पाने का अधिकार है। किंतु जितने समय तक वह नियुक्ति से बाहर रहा उस अवधि के वेतन का हकदार नहीं होगा।
कोर्ट ने ग्राम विकास विभाग के आयुक्त के आदेश 19 फरवरी 18 एवं एकलपीठ द्वारा याचिका खारिज करने के आदेशों को नियम विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया है याची को 24 दिसंबर 2001 से वरिष्ठता आदि सभी लाभ देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने राजीव कुमार गुप्ता की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
मामले में कनिष्ठ लेखा लिपिक भर्ती परिणाम टाइप टेस्ट के बाद 2001 में घोषित हुआ और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई। उसी में विपक्षी पांच को भी नियुक्त किया गया। बाद में हाईकोर्ट ने टाइप टेस्ट के बगैर परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया। नियमानुसार टाइप टेस्ट सहित परिणाम जारी नहीं किया जाना था। 2014 में याची की नियुक्ति की गई जब 2015 में चयन परिणाम
घोषित किया गया तो याची प्रथम स्थान पर तथा विपक्षी पांच दूसरे स्थान पर था । याची ने विपक्षी की नियुक्ति तिथि से बकाया वेतन, वरिष्ठता की मांग की। जिसे आयुक्त ने अस्वीकार कर दिया। जिसके खिलाफ याचिका एकलपीठ ने खारिज कर दी। जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी।
अपीलीय अदालत ने काम न करने के कारण वेतन पाने का हकदार नहीं माना किंतु कहा कि एक ही चयन प्रक्रिया में याची को अपने से कनिष्ठ की नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता, वेतनमान व पेंशन निर्धारित किये जाने का हकदार माना है।