इसके लिए स्मार्ट फोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत पड़ती है। किसी को न तो स्मार्टफोन दिया गया है और न ही नेट पैक के लिए धनराशि मुहैया कराई जा रही है। शिक्षक तो किसी तरह इस नियम को पूर्ण कर रहे हैं, लेकिन शिक्षामित्र और अनुदेशक सिर्फ भयवश सीमित मानदेय में इस आदेश का निर्वहन करने को मजबूर हैं। जनपद में लगभग 1452 शिक्षामित्र हैं। शिक्षामित्रों को दस हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। सभी को औसतन प्रतिमाह 300 रुपये का रिचार्ज व दस हजार रुपये का मोबाइल फोन खरीदना पड़ा है। विभाग की ओर से पास इन छोटे मातहतों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष जेपी राणा का कहना है कि विभाग मानदेय कर्मियों का शोषण कर रहा है। सीमित मानदेय में हम अपने परिवार का भरण पोषण करें कि विभाग के आनलाइन प्रशिक्षण व सूचना के लिए स्मार्टफोन व महंगाई रिचार्ज कराएं.
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