राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के मसौदे में दूसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए लिखित परीक्षा को पूरी तरह अनुपयुक्त बताया गया है। साथ ही सुझाव दिया गया है कि लिखित परीक्षा तीसरी कक्षा से शुरू होनी चाहिए।
मसौदे में कहा गया है कि मूल्यांकन की पद्धति ऐसी होनी चाहिए, जिससे छात्र पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार तैयार किए जा रहे एनसीएफ में कहा गया है कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए दो महत्वपूर्ण पद्धतियों में बुनियादी स्तर पर बच्चे के आकलन और सीखने के दौरान उसके द्वारा तैयार सामग्री का विश्लेषण अहम है।
इसमें यह भी कहा गया है कि विशिष्ट जांच और परीक्षा बुनियादी स्तर अर्थात दूसरी कक्षा तक के बच्चों के मूल्यांकन के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त है। बच्चों के बीच और उनके पठन-पाठन के दौरान मूल्यांकन में विविधता को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अलग-अलग तरीके से सीखते हैं और भिन्न तरीके से उसे अभिव्यक्त करते हैं। सीखने के परिणाम एवं क्षमता संबंधी उपलब्धता का मूल्यांकन करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। ऐसे में शिक्षक को एक समान सीखने के परिणाम के मूल्यांकन के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धति तैयार करनी चाहिए तथा उन्हें उपयुक्त तरीके से प्रयोग करना चाहिए।
क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति
वर्ष 2020 में पेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा सहित पूरी शिक्षा प्रणाली को बदलना है। एनईपी 2020 में आगे कार्य करते हुए, चार राष्ट्रीय पाठ्यक्रमों की रूपरेखाओं की स्थापना की गई है, अर्थात स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ, बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिए एनसीएफ, अध्यापक की शिक्षा के लिए एनसीएफ और प्रौढ़ शिक्षा के लिए एनसीएफ शामिल है। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्रालय ने एनसीएफ को शुरू करने और इसका मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया। शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को एनसीएफ पर पूर्व मसौदा जारी किया और इस पर विभिन्न हितधारकों से प्रतिक्रिया मांगी गई है।