यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा छोड़ने वाले सर्वाधिक छात्र-छात्राएं वित्तविहीन या निजी स्कूलों के थे। यह ट्रेंड राजकीय या सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में देखने को नहीं मिलता। बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 2023 की हाईस्कूल परीक्षा के लिए प्रदेशभर के 20737 वित्तविहीन स्कूलों के 20,31,752 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इनमें से 18,15,386 परीक्षा में शामिल हुए और 2,16,366 (10.64 प्रतिशत) विद्यार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी।
वहीं 2355 राजकीय स्कूलों में 10वीं की परीक्षा के लिए पंजीकृत 1,82,297 छात्र-छात्राओं में से 1,75,855 परीक्षा में सम्मिलित हुए और 6442 (3.53 फीसदी) गैरहाजिर रहे। तो 4509 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में पंजीकृत 8,92,108 परीक्षार्थियों में से 8,63,638 उपस्थित रहे और 28470 (3.19 प्रतिशत) ने परीक्षा छोड़ी। स्पष्ट है कि राजकीय और एडेड कॉलेजों की तुलना में 10वीं की परीक्षा छोड़ने वाले वित्तविहीन स्कूलों के विद्यार्थियों की संख्या तीन गुना है।
पिछले साल भी वित्तविहीन स्कूलों के 2,26,673 छात्र-छात्राओं ने हाईस्कूल की परीक्षा छोड़ दी थी। वहीं राजकीय विद्यालयों के 5267, जबकि सहायता प्राप्त विद्यालयों के 25775 छात्र-छात्राएं गैरहाजिर थे।
इंटर में भी निजी स्कूल के सर्वाधिक छात्र गैरहाजिर
इंटरमीडिए की बोर्ड परीक्षा में भी निजी स्कूल के सर्वाधिक छात्र गैरहाजिर रहे। 2023 की इंटर परीक्षा में वित्तविहीन स्कूलों के पंजीकृत 1666440 विद्यार्थियों में 1517663 उपस्थित हुए और 148777 अनुपस्थित रहे। राजकीय के पंजीकृत 101471 परीक्षार्थियों में से 99064 शामिल हुए और 2407 अनुपस्थित थे तो वहीं सहायता प्राप्त स्कूलों में पंजीकृत 817807 छात्र-छात्राओं में से 794675 उपस्थित थे और 23132 ने परीक्षा छोड़ दी थी।
नकल की सुविधा न मिलना बड़ा कारण
निजी स्कूलों में सर्वाधिक छात्र-छात्राओं के परीक्षा छोड़ने का बड़ा कारण नकल की सुविधा न मिलना है। जानकारों की मानें तो सैकड़ों स्कूलों के प्रबंधक नकल के दम पर परीक्षा पास कराने का ठेका लेते हैं। चूंकि हाईस्कूल का प्रमाणपत्र न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता है और आयु प्रमाणपत्र का भी काम करता है, इसलिए हाईस्कूल में नकलची छात्रों और परीक्षा छोड़ने वाले भी अधिक होते हैं।