नई दिल्ली, देश में एक तिहाई अभिभावकों का मानना है कि बच्चों को पढ़ाई में बेहतर करने के लिए स्कूलों में मिलने वाली शिक्षा पर्याप्त नहीं। इतना ही नहीं, शहरी क्षेत्रों में 47 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 34 फीसदी बच्चे प्राइवेट ट्यूशन से लाभ उठाते हैं। यह जानकारी स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता पर काम करने वाले संगठन सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के एक सर्वे में सामने आई है।
सर्वे में छह राज्यों के छह हजार घरों में रहने वाले 9867 बच्चों को शामिल किया गया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और मिजोरम के बच्चों को शामिल किया गया है।
कमियों और सुधार पर चर्चा : इंडिया हैबिटेट सेंटर में मंगलवार को आयोजित एजुकेशन कॉनक्लेव में यह जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में कई राज्यों के स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव, वरिष्ठ प्रोफेसरों और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया। इस दौरान शिक्षाविदों ने स्कूली शिक्षा की कमियों और उनमें होने वाले सुधार पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन की सीईओ श्वेता शर्मा कुकरेजा भी मौजूद थीं।
मोबाइल और तकनीक से पढ़ाई का समर्थन: सर्व में शामिल 72 फीसदी बच्चों की पहुंच स्मार्टफोन तक थी। 67 फीसदी घरवालों ने मोबाइल और तकनीक से बच्चों को पढ़ाने के समर्थन में दिखाई दिए। शहरों में यह आंकड़ा 79 फीसदी और गांवों में 62 फीसदी अभिभावकों ने ऑनलाइन और मोबाइल जैसी तकनीक से पढ़ाई पर सकारात्मक रूप दिखाया