केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं के तहत कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में 100 करोड़ का घोटाला होने के मामले में हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करायी गई है। संयुक्त पुलिस आयुक्त के आदेश पर यह मुकदमा 10 शैक्षिक संस्थानों के चेयरमैन, प्रबन्धक और कर्मचारियों के खिलाफ एसएसआई दयाशंकर द्विवेदी की तहरीर पर लिखा गया है। इसमें 18 आरोपितों को नामजद व अन्य को अज्ञात के रूप में दिखाया गया है। इस मामले में ईडी भी पहले जांच और छापेमारी कर चुका है।
एफआईआर के मुताबिक छात्रवृत्ति हड़पने वाले इन शिक्षण संस्थानों ने अपने कर्मचारियों व कई काल्पनिक नामों से खाते खुलवा कर छात्रवृत्ति हड़पी। इनमें कई खाते नाबालिग व बुजुर्गों के भी निकले। ये लोग छात्रवृत्ति की पात्रता की श्रेणी में ही नहीं आते थे। यहां तक कि कई ऐसे खाताधारक निकले जिन्हें पता ही नहीं था कि उनके नाम बैंक में खाता भी खोला गया है। इन खातों में पहुंची छात्रवृत्ति की रकम अलग-अलग लोगों को भेजी गई। एफआईआर के मुताबिक कालेजों का प्रबन्धन फिनो बैंक के एजेन्ट के साथ मिलकर गबन में शामिल रहा। ये एजेंट खाता खुलवाकर नेट बैकिंग का यूजर आईडी और पासवर्ड संस्थानों के अधिकारियों को उपलब्ध कराते थे।
3000 फर्जी खाते पाये गये
जांच में पता चला कि घोटाले में शामिल लोगों ने करीब तीन हजार फर्जी खाते खोले। फर्जी दस्तावेजों से ही 1200 सिम कार्ड भी लिये गये। इन खातों के 1200 एटीएम कार्ड भी लिये गये। कई खाते एक ही ईमेल आईडी पर थे। बैंक में यह बताया गया था कि विभिन्न योजनाओं से दी जाने वाली पोस्ट मैट्रीकुलेशन छात्रवृत्ति वितरण के लिये खाते खुलवाये जा रहे हैं।