उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 30 साल से कम की सेवा पर तीसरा ‘संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति योजना’ (एमएसीपी) यानी वित्तीय उन्नति का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने उन दलीलों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि केंद्र ने कुछ अफसरों को महज 28 साल की सेवा पर तीसरे एमएसीपी का लाभ दिया है।
जस्टिस वी.कामेश्वर राव और ए.के. मेंदीरत्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार ने पहले गलती से किसी को 30 साल से कम की सेवा में तीसरे एमएसीपी का लाभ दिया, इसका मतलब यह नहीं कि इस गलती को दोहराया जाए।
पीठ ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी की मांग को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। यदि याचिकाकर्ता भूप सिंह की मांग को स्वीकार किया गया तो इसका मतलब यह होगा कि उन्हें 2008 में मिले दूसरे एमएसीपी के महज छह साल बाद ही यानी कुल 28 साल की सेवा पर तीसरे एमएसीपी का लाभ देने जैसे होगा। पीठ ने भूप सिंह की अपील को खारिज कर दिया।
दोहराया नहीं जा सकता पिछली गलती को
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता भगवान स्वरूप शुक्ला ने पीठ को बताया कि पहले दो अधिकारियों को गलती से महज 28 साल की सेवा पर तीसरे एमएसीपी का लाभ दिया गया। दो गलती एक को सही नहीं बना सकती। उन्होंने एमएसीपी को लेकर समय-समय पर जारी कार्यालय आदेश भी न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी।
क्या है एमएसीपी
इसके तहत यह प्रावधान है कि यदि किसी कर्मचारी को पदोन्नति नहीं मिलता है तो भी एक निश्चित सेवा के अंतराल पर उनका वित्तीय बढ़ोतरी होगी। इसके लिए 10 साल, 20 साल और 30 साल की सेवा पूरी होने पर वित्तीय प्रोन्नति देने का प्रावधान है।