स्कूली शिक्षा में बदलाव सिर्फ नया पाठ्यक्रम तैयार होने से नहीं आएगा, बल्कि इसके बेहतर और प्रभावी अमल के लिए नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क में शिक्षकों को भी सक्षम बनाने पर जोर दिया गया है। इसके तहत उन्हें उन सभी विषयों से जुड़ा प्रशिक्षण देने की सिफारिश की गई है, जो आने वाले दिनों में स्कूलों में उन्हें पढ़ाना होगा। इनमें सबसे ज्यादा फोकस उन शिक्षकों पर करने के लिए कहा गया है, जो मौजूदा समय में सेवा में हैं। इसके साथ ही इनकी पदोन्नति और सेवा शर्तों को भी बेहतर बनाने का सुझाव दिया गया है।
स्कूलों के लिए तैयार किए नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क के मसौदे में शिक्षकों से जुड़े मुद्दों को उस समय प्रमुखता से रखा गया है, जब अगले साल से स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार होकर आने वाला है। इस दौरान स्कूलों में छात्र- शिक्षक अनुपात को बेहतर रखने और खाली पदों को तुंरत भरने पर भी जोर दिया गया है। साथ ही शिक्षकों को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की गई है। फ्रेमवर्क में कहा गया है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जिस तरह से प्रत्येक कक्षा के
स्तर पर छात्रों की प्रतिभा का आकलन करना है, उसके लिए शिक्षकों को उस स्किल को पहचाने के लिए जरूरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, डायट आदि संस्थानों को अभी से तैयार करना होगा। वहीं सेवा में मौजूदा शिक्षकों को इससे जुड़ा प्रशिक्षण नियमित दिलाया जाना चाहिए। प्रस्तावित फ्रेमवर्क में इसके साथ ही शिक्षकों के लिए चलाए जाने वाले कोर्सों को भी अपग्रेड करने की सिफारिश की है। साथ ही कहा गया है कि इस साल से शुरू होने वाले चार वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आइटीईपी) में इससे जुड़े सभी विषयों को प्रमुखता से शामिल किया चाहिए।
इसके अलावा टीचर एलिजबिलिटी टेस्ट (टीईटी) में भी नए पाठ्यक्रम की जरूरत के मुताबिक बदलाव किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तैयार होने वाले नए पाठ्यक्रम को छात्रों के बीच पहुंचाने का पूरा जिम्मा शिक्षकों पर ही है ।