लखनऊ, । नई शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के साथ ही पहली कक्षा में प्रवेश के लिए अब न्यूनतम आयु सीमा 6 वर्ष निर्धारित कर दी गई है। केन्द्र सरकार द्वारा इस बारे में जारी दिशा-निर्देश के आधार पर राज्य सरकार ने न्यूनतम आयु सीमा संबंधी शासनादेश शुक्रवार को जारी कर दिया।
इसके तहत अब प्रदेश के किसी भी स्कूल में 6 वर्ष या उससे अधिक आयु के बच्चों का ही पहली कक्षा में प्रवेश दिया जा सकेगा। हालांकि आयु के पुनर्निधारण के कारण तय आयु सीमा 6 में इस सत्र में तीन-चार माह का अन्तर
ही रह जाता है मसलन एक अप्रैल से 31 जुलाई के मध्य 6 वर्ष की आयु पूर्ण करने की दशा में कोई बच्चा प्रवेश से वंचित हो रहा है तो उन्हें निर्धारित आयु में शिथिलता प्रदान करते हुए प्रवेश की सुविधा देने की अनुमति सरकार ने स्वतः प्रदान कर दी है। इसका उल्लेख शासनादेश में भी करते हुए लिखा गया है कि वर्तमान में जिन बच्चों का कक्षा एक में प्रवेश हुआ है और जिनकी आयु 5 से 6 वर्षों के बीच है, उन्हें कक्षा एक में अध्ययन की अनुमति प्रदान की जाएगी। नामांकन में सुनिश्चित कराया जाएगा कि कक्षा एक में उन्हीं का नामांकन हो जो उस सत्र के 31 जुलाई तक 6 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हैं।
इस साल थोड़ी राहत अगले साल से सख्ती
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि वर्तमान में प्री- स्कूल (नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी) में पढ़ रहे ऐसे बच्चे जो कक्षा एक में दाखिले के समय छह साल से कम आयु के होंगे, उन्हें भी कक्षा एक में प्रवेश दिया जाएगा, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। लेकिन अगले साल से प्री- स्कूल में विद्यालयों के लिए यह व्यवस्था बाध्यकारी होगी।
प्री स्कूल चलाने वालों पर कसा गया शिकंजा
आदेश में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में प्री-स्कूल (नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी) में अध्ययनरत ऐसे बच्चे जो कक्षा एक में दाखिले के समय 6 से कम आयु के होंगे, उन्हें कक्षा एक में प्रवेश दिया जाएगा और उनके आगे की पढ़ाई की निरंतरता में कोई भी व्यवधान नहीं होगा। आगामी वर्षों में प्री-स्कूल कक्षाएं | संचालित करने वाले विद्यालयों के लिए यह बाध्यकारी होगा कि वे प्री स्कूल | कक्षाओं में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु का निर्धारण इस प्रकार करें कि कोई भी बच्चा 6 वर्ष से कम की उम्र में कक्षा-01 में प्रवेश के लिए अर्ह न हो।