शासन से तय किया गया समय निकल गया लेकिन परिषदीय विद्यालय सभी सुविधाओं से संतृप्त नहीं हो सके। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 19 पैरामीटर्स के तहत कार्य करने के निर्देश दिए थे। सभी स्कूलों में 31 मार्च तक कार्य पूरे होने थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अनदेखी के चलते विद्यालयों में विकास कार्य अधूरे पड़े हैं।
आपरेशन कायाकल्प के तहत परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प किया जा रहा है। नए शैक्षिक सत्र में बच्चों को सभी सुविधाएं मिलनी थी। लेकिन विद्यालयों में विकास कार्य पूरे नहीं हो सके। जिले में संचालित 1909 विद्यालयों में से 85 विद्यालय ऐसे हैं जहां बिजली कनेक्शन ही नहीं हैं। गर्मियां शुरू हो गई हैं। ऐसे में बच्चों को कक्षों में बैठने में गर्मी का सामना करना पड़ेगी। 172 विद्यालयों में बाउंड्रीवाल नहीं है। वहीं दिव्यांग सुलभ शौचालय निर्माण में तो बहुत ही अधिक लापरवाही बरती गई है। 913 विद्यालयों में अभी भी सुलभ शौचालय का निर्माण शेष रह गया है। इसी तरह अभी भी 24 विद्यालयों में बालक और 11 विद्यालयों में बालिका शौचालय भी नहीं बन सके हैं।
इन सुविधाओं से संतृप्त होने हैं परिषदीय विद्यालय
शुद्ध एवं सुरक्षित पेयजल, बालक शौचालय, बालिका शौचालय, शौचालय में नल-जल आपूर्ति, शौचालय का टायलीकरण, दिव्यांग सुलभ शौचालय, मल्टीपल हैंडवाशिंग यूनिट, कक्षा-कक्षों का फर्श का टायलीकरण, श्यामपट, रसोईघर, विद्यालय की रंगाई पुताई, दिव्यांग सुलभ रैंप एवं रेलिंग, कक्षों में उपयुक्त वायरिंग एवं विद्युतीकरण, बिजली कनेक्शन, बालक मूत्रालय, बालिका मूत्रालय, फर्नीचर, ओवरहेड टैंक के साथ नल जल व्यवस्था, बाउंड्रीवाल।