हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के फर्जी अंकपत्र व प्रमाणपत्र बांटने का रैकेट प्रयागराज, ग्वालियर से लेकर दिल्ली तक फैला हुआ है। अंकपत्र व प्रमाणपत्र के सत्यापन के लिए यूपी बोर्ड को प्रतिदिन औसतन तीन से चार पत्र मिलते हैं। 30 से 40 प्रतिशत मामले फर्जी पाए जाते हैं।
सत्यापन के सर्वाधिक मामले पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र से आते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज, ऑल इंडिया ओपेन बोर्ड सेकेंडरी एजुकेशन माध्यमिक शिक्षा परिषद मध्य भारत ग्वालियर मध्य प्रदेश, दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन और सेंट्रल बोर्ड ऑफ एजुकेशन अजमेर जैसी तमाम संस्थाएं हैं, जिनके 10वीं-12वीं के अंकपत्र और प्रमाणपत्र मान्य नहीं है।
वेबसाइट पर सूची हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा करने के लिए देशभर में अधिकृत एवं मान्य संस्थाओं की सूची यूपी बोर्ड की वेबसाइट https// upmsp. edu. in/ पर उपलब्ध है। देश के सभी राज्यों की विधि द्वारा स्थापित माध्यमिक शिक्षा परिषदों से संचालित हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट स्तर की परीक्षाएं यूपी बोर्ड के समकक्ष हैं। सीबीएसई और सीआईएससीई नई दिल्ली की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं भी मान्य हैं। एनआईओएस की सीनियर सेकेंडरी परीक्षा इस प्रतिबंध के साथ मान्य है कि यह परीक्षा कम से कम पांच विषयों में पास की गई हो।
राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर अलीगढ़ के गांधी स्मारक इंटर कॉलेज में नियुक्त प्रवक्ता देवेंद्र कुमार अग्रवाल की नियुक्ति माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने 2021 में निरस्त कर दी थी। इसका विवाद हाईकोर्ट में चल रहा है। इससे पहले हाईकोर्ट ने 2011 में भी इस डिग्री को अवैध ठहराते हुए माध्यमिक शिक्षा के अधिकारियों को शिक्षा अलंकार डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया था। अफसरों ने 2012 में कोर्ट में हलफनामा देकर आश्वस्त किया था कि प्रदेशभर से उक्त डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को हटाया जा चुका है।
गुरदेव सिंह ने उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद प्रयागराज से 10वीं का प्रमाणपत्र लगाकर हरियाणा में नौकरी पा ली। हिसार के उप पुलिस अधीक्षक ने 25 जनवरी 2023 को यूपी बोर्ड को पत्र लिखकर इसके बारे में सत्यापन मांगा। जांच में पता चला कि इस नाम का कोई बोर्ड अस्तित्व में नहीं है।
● रुपये लेकर बांट रहे 10वीं-12वीं के फर्जी प्रमाणपत्र
● पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से आ रहा है सर्वाधिक मामला
● यूपी बोर्ड में प्रतिदिन आते हैं सत्यापन के तीन से चार मामले