बिना प्रधानाध्यापक के चल रहे 13 सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल
अमेठी, । सहायता प्राप्त जूनियर स्कूलों में हाल बेहाल है। एक ओर जहां सत्रारंभ होने के साथ सभी स्कूलों में नामांकन की धूम मची है, वहीं शिक्षकों के अभाव में सहायता प्राप्त स्कूलों से परिजनों का मोहभंग हो रहा है। जिले के तेरह स्कूलों में प्रधानाध्यापक का पद लंबे अरसे से खाली हैं तो दो स्कूलों में महज एक सहायक अध्यापक की तैनाती है।
जिले में 33 स्कूल ऐसे हैं जो शासकीय सहायता प्राप्त है। यहां वेतन और अन्य सुविधाएं सरकार की ओर से दी जाती हैं। इन स्कूलों में महिमापुर स्थित स्वामी बालकानांद पूर्व माध्यमिक विद्यालय ऐसा है जहां न तो कोई प्रधानाध्यापक है और न ही सहायक अध्यापक। स्टाफ के नाम पर इस स्कूल में महज एक लिपिक और एक अनुचर की तैनाती है। इस वजह से लंबे समय तक एमडीएम भी स्कूल में प्रभावित रहा। इसके बाद एमडीएम खाते का संचालन प्राथमिक विद्यालय महिमापुर प्रथम के माध्यम से किया जा रहा है। स्टाफ न होने से परिजन बच्चों का एडमिशन तो दूर बल्कि अपने बच्चों को स्कूल से निकाल रहे हैं। श्री महावीर लघु माध्यमिक विद्यालय नोहरेपुर में महज एक सहायक अध्यापक की तैनाती है। यही हाल ईश्वर शरण इंटर कालेज मत्तेपुर का भी है। यहां पर भी महज एक सहायक अध्यापक ही तैनात हैं। इन स्कूलों में भी नये प्रवेश न के बराबर हो रहे हैं।
इन स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद खाली
सरस्वती विद्या मंदिर जूनियर हाईस्कूल दक्खिनगांव शुकुलबाजार, श्री राम नरेश पूर्व माध्यमिक विद्यालय सैंठा, स्वामी बालकानंद पूर्व माध्यमिक विद्यालय महिमापुर, श्री ईश्वर शरण महावीर इंटर कालेज मत्तेपुर, रानी सुषमा देवी बालिका इंटर कालेज मुंशीगंज, सरदार पटेल विद्यालय अहुरी तिलोई, जनता विद्यालय आर्य नगर इन्हौना, श्री सिद्धेश्वर प्रताप बहादुर लघु माध्यमिक विद्यालय हरगांव, श्री मुकुट नाथ इंटर कालेज ताला, राम जानकी पूर्व माध्यमिक विद्यालय भेटुआ, नेहरू जूनियर हाईस्कूल सत्थिन, जगन्नाथ जूनियर हाईस्कूल दुर्गापुर, जनता इंटर कालेज रामगंज कौहार, श्री शिव विद्यापीठ विराज कमई तिलोई, श्री भगवानदीन जनता इंटर कालेज उमापुर कटरा, महात्मा शिवकुमार इंटर कालेज धरईमाफी, राजा विश्वनाथ शरण इंटर कालेज तिलोई, श्री रणवीर जूनियर हाईस्कूल रामनगर में प्रधानाध्यापक नहीं हैं।
प्रबंधक भी परेशान
स्कूलों में तैनाती को लेकर प्रबंधक भी परेशान हैं। प्रबंधकों का कहना है कि सरकार ने एक ओर मैनेजमेंट से नियुक्ति का अधिकार भी छीन लिया। दूसरी ओर स्कूलों में स्टाफ की तैनाती भी नहीं कर रही है। इससे स्कूल का भी नाम खराब हो रहा है।