राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना परीक्षा 2023-24 में बेसिक शिक्षा विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद सिर्फ सात जिलों के मेधावी पूरी छात्रवृत्ति ले सके। शिक्षा मंत्रालय ने यूपी के राजकीय, सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय के स्कूलों में आठवीं में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए 15143 सीटों का कोटा तय किया है। इसके साथ ही छात्रवृत्ति की जिलेवार संख्या भी निर्धारित है।
मनोविज्ञानशाला की ओर से बुधवार को घोषित परिणाम में 14090 मेधावी ही छात्रवृत्ति के योग्य मिले हैं। इनमें पूर्वांचल के छह समेत कुल सात जिले ऐसे हैं जहां निर्धारित सीटों के सापेक्ष शत-प्रतिशत छात्र सफल हैं। बलिया में 251, बलरामपुर 118, देवरिया 235, गाजीपुर 184, गोरखपुर 307, मिर्जापुर 233 और वाराणसी में 269 सीटों में से कोई खराब नहीं हुई। सफल छात्र-छात्राओं को कक्षा नौ से 12 तक प्रति माह एक हजार या प्रतिवर्ष 12 हजार रुपये पढ़ाई के लिए मिलेंगे। इस बार रिकॉर्ड 1,79,971 बच्चों ने आवेदन किया था जिनमें से 1,45,702 अभ्यर्थी 13 नवंबर को आयोजित परीक्षा में शामिल हुए थे।
पहले से सुधरे हालात, बच्चों को हुआ लाभ
इस प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति परीक्षा को लेकर पहले यूपी के बच्चों में जागरूकता की कमी थी। जिसके कारण बहुत कम बच्चे ही इसमें सफल हो पाते थे। लेकिन इस साल की परीक्षा के लिए महानिदेशक विजय किरन आनंद ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुए बच्चों के पंजीकरण कराए। मनोविज्ञानशाला ने बच्चों की तैयारी के लिए कार्यशाला आयोजित की जिसका नतीजा है कि इस साल 14090 मेधावी छात्रवृत्ति पाने में सफल रहे। पिछले साल मात्र 38,837 बच्चों ने फॉर्म भरा था और 15,143 सीटों के सापेक्ष केवल 6456 ही छात्रवृत्ति हासिल कर सके थे।
बिजनौर, संभल और आजगमढ़ में निराशा
छात्रवृत्ति परीक्षा में 75 में से 68 जिलों के छात्र-छात्राएं आवंटित सभी सीटों के सापेक्ष सफलता हासिल नहीं कर सके। बिजनौर में सर्वाधिक 99 सीटें खराब चली गईं। बिजनौर में 338 सीट के सापेक्ष 239 छात्र ही सफल हो सके। संभल में 150 सीटों के सापेक्ष 63 छात्र सफल रहे और 87 सीटें खराब चली गईं। आजमगढ़ में 459 सीटों पर 393 छात्र पास हैं और 66 सीटें खाली रह गईं। मुरादाबाद में 228 सीटों पर 165 छात्र सफल हुए और 63 सीटें बेकार चली गईं, जबकि गोंडा में 254 में से 193 छात्र सफल हुए और 61 सीटें बेकार हो गईं।