लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में अब पोषाहार के लाभार्थियों की संख्या घटाने-बढ़ाने का खेल खत्म करने की तैयारी है। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रवार डिजिटल डाटा तैयार किया जाएगा। कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की मदद से लाभार्थियों से संबंधित जानकारी डिजिटल रूप में तैयार की जा रही है। इसमें लाभार्थी या उसके परिवार के किसी सदस्य का मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा। जिससे उसका वास्तविक सत्यापन किया जा सके। दरअसल, लाभार्थियों की संख्या बढ़ाकर अधिक पोषाहार आवंटन कराने का खेल बड़े पैमाने पर होने की शिकायतें मिलती रहती हैं। हाल में ही तमाम जिलों में पोषाहार को बाजार में बेचने का मामला भी सामने आ चुका है। इसके मद्देनजर आईसीडीएस निदेशालय ने लाभार्थियों का ब्योरा डिजिटल करने का फैसला किया है। इसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपडेटेड हस्ताक्षरित रजिस्टर की फोटो सीएससी के प्रतिनिधि लेंगे, जिससे डाटा के साथ अंकित किया जाएगा। इस डाटा को गूगल फॉर्म पर तैयार होगा। इसका सत्यापन बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) द्वारा की जाएगी। इस संबंध में निदेशालय ने सभी डीपीओ को सीएससी के जिला प्रबंधकों की मदद से सभी सीडीपीओ के स्तर से डाटा एकत्र करने को कहा है।
श्रेणीवार तैयार होगा लाभार्थियों का डाटा
योजना के तहत पोषाहार प्राप्त करने वाले लाभार्थियों में 6 माह से 3 वर्ष व 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों, 11 से 14 वर्ष तक की स्कूल न जाने वाली किशोरी और गर्भवती व धात्री महिलाओं को शामिल किया गया है। इसलिए विभिन्न आयु वर्ग के लाभार्थियों का डाटा श्रेणीवार तैयार किया जाएगा। ताकि जरूरत पड़ने पर यह तत्काल पता किया जा सके कि किस आयु वर्ग के लाभार्थियों की वास्तविक संख्या कितनी है। लाभार्थियों के डिजिटल डाटा को साल भर में सिर्फ एक बार अपडेट किया जा सकेगा। इसके अलावा डाटा में बदलाव करने के लिए निदेशालय स्तर से अनुमति लेना अनिवार्य किया होगा।