प्रयागराज । वैज्ञानिक चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को भी एनसीईआरटी ने 9वीं – 10वीं के पाठ्यक्रम से हटा दिया है। यह डार्विन का ही सिद्धांत है, जो बताता है कि लाखों वर्षों के बदलावों के बाद बंदरों से इंसानी प्रजाति का विकास हुआ।
डार्विन का निष्कर्ष है कि पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव एक ही प्रजाति की उत्पत्ति हैं। परिस्थितियों में ढल जाने की प्रवृत्ति ने जैव विविधता को जन्म दिया, नई-नई प्रजातियां बनती गईं। 9वीं – 10वीं में विज्ञान की पुस्तक में डार्विन के सिद्धांत को विस्तारपूर्वक पढ़ाया जाता रहा है। डार्विन की एवोल्यूशन थ्योरी आज भी सर्वमान्य है। इस थ्योरी को पाठ्यक्रम से हटाने को लेकर विज्ञान शिक्षक भी हैरान हैं। शिक्षक पूछ रहे हैं कि अब बच्चों को इंसानी विकास यात्रा का ज्ञान कैसे मिलेगा अधिकारियों के खफा हो जाने के डर से नाम नहीं छापने के अनुरोध पर वह कहते हैं कि डार्विन की यह थ्योरी विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों के लिए काफी अहम थी। इसे पाठ्यक्रम से हटाना समझ के परे है। एनसीईआरटी ने कोविड के बाद पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के बहाने जो हटाया है, वह बिल्कुल उचित नहीं है.