शैक्षणिक सत्र 2023-24 से स्नातक प्रोग्राम के सभी छात्रों को पर्यावरण की पढ़ाई करनी अनिवार्य होगी। इंजीनियरिंग, मेडिकल, आर्किटेक्चर, फार्मेसी, मैनेजमेंट समेत अन्य सभी कोर्स के छात्रों को पर्यावरण के बारे में पढ़ना और जानना जरूरी रहेगाा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत पर्यावरण शिक्षा पर आधारित पाठ्यक्रम का खाका बनाया है। इसमें नौ विषयों में 30 घंटे की पढ़ाई और चार क्रेडिट मिलेंगे। पढ़ाई के साथ छात्रों को केस स्ट्डी के लिए फील्ड में भी जाना होगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि यूजीसी ने पर्यावरण शिक्षा पर आधारित पाठ्यक्रम का खाका तैयार किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम में सबसे जरूरी माना गया है। पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों को इसके संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाना है। इसे सामुदायिक जुड़ाव और सेवा, पर्यावरण शिक्षा और मूल्य-आधारित शिक्षा के आधार पर तैयार किया गया है।
एक सेमेस्टर में एक क्रेडिट जरूरी:
स्नातक प्रोग्राम के पाठ्यक्रम में नौ विषयों को शामिल गया हैं। कुल 30 घंटों की क्लासरूम स्ट्डी में एक विषय चार घंटे तो अन्य छह-छह घंटों के हैं। इसके कुल चार क्रेडिट होंगे। इस पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्य जीवन संरक्षण और सतत विकास जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसके अलावा छात्रों को 30 घंटे को केस स्ट्डी के साथ फील्ड वर्क भी करना होगा। एक सेमेस्टर एक क्रेडिट हासिल करना जरूरी होगा। एक क्रेडिट के साथ 30 घंटे की क्लासरूम स्ट्डी और फील्ड वर्क करना पड़ेगा