प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएसी कांस्टेबल के सेवानिवृत्त होने के बाद अधिक वेतन भुगतान की वसूली संबंधी 13 सितंबर 10 को जारी आदेश रद्द कर दिया है। कोर्ट ने आठ फीसदी ब्याज सहित बकाये सेवानिवृति परिलाभों और पेंशन का दो माह में भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद अधिक भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती।
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने प्रयागराज में तैनात रहे लक्ष्मी नारायण सिंह की याचिका को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया है। याची ने कहा कि उसकी नियुक्ति कांस्टेबल पद पर हुई थी। उसे हेड कांस्टेबल पीएसी पद पर प्रोन्नति मिली। 1973 में पीएसी विद्रोह के आरोप में उसे बर्खास्त कर दिया गया।
आपराधिक केस में 1981 में उसे बरी कर दिया गया। आदेश की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट तक हो गई। इसके बाद सेवा बहाली नहीं करने पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 18 अक्तूबर 98 को बहाल किया गया। बकाया वेतन की मांग कोर्ट ने नहीं मानी। 31 अगस्त 2009 में वह सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद कहा गया कि याची को गलत वेतनमान तय कर दिया गया था। पुनर्निर्धारण कर 8.34 लाख रुपये अधिक भुगतान की वसूली का आदेश दिया गया। इसे यह कहते हुए चुनौती दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस के फैसले के अनुसार विभाग अपनी गलती पर कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद उसे दोषी नहीं मान सकता। कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली है.