कुमार गौरव बताते हैं कि जब उन्होंने पहली नौकरी ठुकराई थी, तो उन्हें एक बार लगने लगा था कि कहीं बेरोजगार न रह जाऊं। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। इसके परिणाम सुखद रहे। उनकी उपलब्धि पर परिवार के साथ ही जिले के शिक्षकों ने खुशी जताई है।
अंबेडकरनगर जिले के गांव उमरी भवानी निवासी सेवानिवृत्त ग्राम विकास अधिकारी चंद्र प्रकाश द्विवेदी व गृहिणी शकुंतला देवी के बेटे कुमार गौरव की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। इसके बाद इंदईपुर इंटर कॉलेज से इंटरमीडियट पास करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था।
पीएचडी के चलते छोड़ी पहली नौकरी
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से परास्नातक परीक्षा पास की। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएचडी करने वाले कुमार गौरव का चयन वर्ष 2016 में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडर के रूप में हो गया था। पीएचडी के चलते उन्होंने यह नौकरी ठुकरा दी थी।
बीएसए कुमार गौरव की जिंदगी में कई मौके ऐसे आए, जब वह काफी मायूस हो गए। असिस्टेंट कमांडर की नौकरी पीएचडी के कारण छोड़ी थी। इसके बाद तीन साल तक मौका नहीं मिलने पर परेशान होते रहे। ऐसा लगने लगा था कि कहीं अब बेरोजगार न रह जाएं।
मुश्किल दौर में भी नहीं हारी हिम्मत