अकेला व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है कोर्ट
सीजेआई को सुनवाई से हटाने संबंधी अर्जी खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिए जाने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को हटाये जाने की अर्जी बुधवार को खारिज कर दी। अंसन थॉमस नामक एक व्यक्ति ने सीजेआई को 13 मार्च एवं 17 अप्रैल को भेजे अपने पत्रों का हवाला दिया और कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ को इस मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, धन्यवाद, श्रीमान थॉमस, अर्जी खारिज की जाती है।
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को कहा कि भारतीय कानून वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना अकेले व्यक्ति को भी बच्चा गोद लेने की अनुमति देते हैं। कानून मानता है कि आदर्श परिवार के अपने जैविक संतान होने के अलावा भी कुछ विषम स्थितियां हो सकती हैं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष दलील दी कि लिंग की अवधारणा परिवर्तनशील हो सकती है, लेकिन मां और मातृत्व नहीं। आयोग ने न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि यह कई फैसलों में कहा गया है कि बच्चे को गोद लेना मौलिक अधिकार नहीं है। आयोग की वकील अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा, कानूनों की संपूर्ण संरचना स्वाभाविक रूप से विषम लैंगिक व्यक्तियों से पैदा हुए बच्चों के हितों की रक्षा और कल्याण से संबंधित है। सरकार विषमलैंगिकों तथा समलैंगिकों के साथ अलग व्यवहार करने में न्यायसंगत है।