लखनऊ। प्रदेश में निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग और सख्ती करने जा रहा है। विभाग की ओर से आरटीई की भी ऑनलाइन ट्रैकिंग की व्यवस्था शुरू की जा रही है। इसमें हर महीने स्कूलों व छात्रों से जुड़ी जानकारी पोर्टल पर अपडेट की जाएगी और प्रशासनिक अधिकारी इसका भौतिक सत्यापन करेंगे।
अमर उजाला ने आरटीई दाखिले से बचने के लिए पोर्टल पर दर्ज तमाम विद्यालयों को बंद दिखाए जाने का मामला उठाया था। खबर प्रकाशित होने के बाद विभाग ने इसकी जांच-पड़ताल शुरू की तो उसे कुछ और भी कमियां मिली। अब इसमें सुधार के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है। विभाग पोर्टल पर उपलब्ध डाटा के आधार पर स्कूलों व छात्रों को ट्रैक करेगा। इसके अनुसार स्कूल हर महीने संबंधित छात्र की उपस्थिति की सूचना पोर्टल पर अपडेट करेगा।
इससे यह पता चलेगा कि वह नियमित स्कूल आ रहा है या नहीं, छात्र की पढ़ाई के लिए दिए जाने वाले पैसे का सही प्रयोग हो रहा है नहीं? इसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी इसका भौतिक सत्यापन भी करेंगे। इनकी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे संबंधित छात्र की फीस और छात्र को अन्य चीजों को दिया जाने वाला पैसा जारी किया जाएगा। इस प्रक्रिया के शुरू होने से बीच का समय बचेगी और गड़बड़ी भी रुकेगी। कई बार छात्र पढ़ नहीं रहा होता है और उसका पैसा खाते में जाता रहता है।
छात्रवृत्ति को बनाएंगे इसका आधार : आरटीई में दिए जाने वाले पैसे की भुगतान व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए विभाग ने समाज कल्याण विभाग से संपर्क किया है। विभाग प्रदेश में काफी संख्या में छात्रों को छात्रवृत्ति देता है और उसके लिए विभिन्न दस्तावेज लेता है। उसी तर्ज पर बेसिक शिक्षा विभाग भी आरटीई से संबंधित छात्र व अभिभावक की ई-केवाईसी, आधार, बैंक डिटेल, पिता का डिटेल, पैन को भी डाटा में शामिल करेगा। इसी के अनुसार उसको भुगतान किया जाएगा।
ट्रैकिंग के होंगे कई आधार आरटीई में दाखिला लेने वाले बच्चों से जो डाक्यूमेंट लिए जाते हैं। इसके आधार पर छात्र की यूनिक आईडी, यू डायस आईडी और आधार से उसको ट्रैक किया जाएगा। इससे इसमें गड़बड़ी की संभावना समाप्त होगी और बीच में पढ़ाई छोड़कर जाने वाले बच्चों को ट्रैक करके दोबारा स्कूल लाने का प्रयास करेगा। विभाग की ओर से प्रति छात्र 450 रुपए स्कूल और 5000 प्रति छात्र, अन्य चीजों के लिए दिया जाता है। अब इसे चरणबद्ध देने की तैयारी है।