लखनऊ। प्रदेश में निकाय चुनाव के तत्काल बाद नई स्थानांतरण नीति कैबिनेट के सामने रखी जाएगी। शासन ने स्थानांतरण नीति का मसौदा यार कर लिया है। ज्यादातर प्रावधान पिछली माल जारी नीति के समान ही होंगे, लेकिन यह अगले चार साल के लिए जारी हो सकती है। इस तबादलों के लिए करीब 40 दिन का समय मिलेगा।
14 मई को नगर निकाय चुनाव की आचार हिता हटने के बाद स्थानांतरण नीति को जारी रूपा जाएगा। पिछले साल जारी हुई स्थानांतरण न सिर्फ 2022-23 के लिए ही थी। शासन के के मुताबिक, 20 मई तक नई स्थानांतरण नीति आने की उम्मीद है। यह तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगी। इस तरह से स्थानांतरण के लिए 21 मई से 30 जून तक का समय मिल सकता है।
पिछले वित्त वर्ष में पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग आदि में हुए तबादलों में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई। इसकी गाज कई अधिकारियों पर गिरी इस तरह को गड़बड़ियों को रोकने के लिए नई स्थानांतरण नीति में कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं ऑनलाइन सिस्टम का अधिकाधिक उपयोग होगा जो ट्रांसफर के दायरे में आएंगे. उन्हें पारदर्शी तरीके से इधर से उधर किया जाएगा ऑनलाइन सिस्टम ऐसा होगा कि शासन के अधिकारी भी उस पर निगाह रख सकेंगे।
हालांकि, पिछली नीति की तरह ही समूह के व ख के अधिकारियों को जिले में 3 साल और मंडल में 7 साल पूरा होने पर स्थानांतरण की व्यवस्था होगी। समूह क व ख के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत और समूह ग व घ के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक कर्मियों के तबादले हो सकेंगे। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, निकाय चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद होने वाली कैबिनेट की पहली बैठक में हो स्थानांतरण नीति का मसौदा पेश कर दिया जाएगा। अंतिम मुहर कैबिनेट से ही लगेगी।