प्रयागराज, । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती को लेकर लंबित याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को एक बार फिर उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का कोरम पूरा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कोरम पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के लिए अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख लगाई है। साथ ही कहा है कि ऐसा न होने पर कोर्ट पिछली सुनवाई पर हुए आदेश के क्रम में उचित निर्देश देगा।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के बाद कहा था कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम 1980 विधायिका द्वारा पारित विद्यमान उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग कानून है और वर्तमान में लागू है। मात्र कैबिनेट के प्रस्ताव के आधार पर इस कानून को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि या तो वह कोरम पूर्ण करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, अन्यथा उच्च न्यायालय अगली तिथि को आवश्यकता का सिद्धांत लागू करते हुए वर्तमान आयोग को चयन प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए आवश्यक निर्देश देगा।
पिछली सुनवाई पर कहा गया था कि प्रदेश में सभी स्तर की शिक्षक भर्तियों के लिए राज्य सरकार एक आयोग बनाने की तैयारी में है। इसका मसौदा कैबिनेट से पास हो गया है। यही वजह है कि सरकार उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं कर रही है। पद रिक्त होने के कारण सहायक प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती अटकी हुई है।
आयोग की ओर से कहा गया था कि 2014 के उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग नियमावली के अंतर्गत कम से कम तीन सदस्यों का होना आवश्यक है। याचियों के अधिवक्ता अनूप बरनवाल का कहना था कि ऐसी परिस्थिति में आवश्यकता का सिद्धांत लागू करना न्यायहित में है।
ललित मोदी और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख करते हुए याचियों की ओर से बहस की गई कि राज्य सरकार द्वारा आयोग में नियुक्ति न करने के आधार पर चयन प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए लंबित नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सभी स्तर के आयोगों का एकीकरण कर एक आयोग बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास किया गया है।