लखनऊ, । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब हर जिले और विभाग के विकास कार्यों पर सीधे नज़र रखेंगे। इसके लिए उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट बना दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में व्यापक बदलाव किए गए हैं। तय हुआ है कि एक साल में अगर किसी अधिकारी की तीन खराब परफार्मेंस सामने आईं तो उसे निलंबित कर दंडनीय कार्रवाई की जाएगी। सीएम डैशबोर्ड के जरिये योगी किसी भी सेवा व योजना की प्रगति, ढिलाई की सीधे समीक्षा कर सकेंगे।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने इस संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं। विकास कार्यों में लापरवाही या अनदेखी करने वाले अफसरों पर अब नकेल कसने की पूरी तैयारी है। जिन जिलों और विभागों का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं होगा, उसे सतत निगरानी प्रक्रिया से सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे। कार्यों के मूल्यांकन का आधार डाटा क्वालिटी इंडेक्स (डीक्यूआई) एवं परफॉर्मेंस इंडेक्स में की रैंकिंग होगी।
मुख्यमंत्री कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में 10 अधिकारियों की प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) बनेगी। बाद में यह संख्या बढ़ेगी। पीएमयू के अधिकारी हर महीने रैंकिंग के लिए अंक तय करेंगे। पीएमयू की टीम विभिन्न योजनाओं की निगरानी करेगी। इसके बाद सीएम खुद इन योजनाओं की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री कमांड एंव कंट्रोल सेंटर में जनसुनवाई समाधान प्रणाली, निवेश मित्र, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, इंटीग्रेटेड सेवा पोर्टल भी जुड़ेगे। पीएमयू इनकी भी निगरानी करेगा।
मुख्यमंत्री कमांड एवं कंट्रोल सेंटर/सीएम-डैशबोर्ड (दर्पण 2.0)की स्थापना की गई है यह एक केंद्रीकृत इकाई है। सीएम डैशबोर्ड से विभिन्न विभागों द्वारा नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं एवं विभागों की योजनाओं में विभिन्न स्तरों के अधिकारियों के प्रदर्शन के आधार पर उनकी रैंकिंग तय होगी। सीएम डैशबोर्ड पर सूचनाओं का परीक्षण व निगरानी एवं पर्यवेक्षण करने के लिए मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को भी उत्तरदायित्व दिए जाएंगे।
एनआईसी उत्तर प्रदेश के सहयोग से सीएम- डैशबोर्ड (दर्पण 2.0) पर विभागों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सूचनाओं का मानकीकरण करते हुए एक परफॉर्मेंस इंडेक्स एवं डाटा क्वालिटी इंडेक्स (डीक्यूआई) विकसित किया गया है। विभागों द्वारा जन सामान्य को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं एवं विभागीय योजनाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर (डीक्यूआई) एवं परफॉर्मेंस इंडेक्स के आधार पर विभिन्न स्तरों के अधिकारियों की रैंकिंग प्रतिमाह जारी की जाएगी।
नई व्यवस्था में क्या खास
● रैंकिंग के मानक व अंक देने के लिए सीएम कार्यालय अलग से निर्देश जारी करेगा, परिवर्तन का अधिकार सीएम को होगा
● विभागों को अपनी स्थिति सुधारने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से पत्र भेजा जाएगा। निगरानी के लिए मंडलायुक्त और डीएम को अधिकार दिया जाएगा
● विभिन्न योजनाओं का प्रोजेक्ट और सत्यापन नोडल अधिकारी द्वारा हर महीने अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
कमिश्नर-डीएम के दायित्व
● मंडल में अपर आयुक्त व जिले में सीडीओ को सीएम डैश बोर्ड के नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाएगा
● जिले की महत्वपूर्ण योजनाओं व सेवाओं के संबंध में विभिन्न स्तर के अधिकारियों की समीक्षा इसी डैशबोर्ड के जरिए होगी।
● विभाग द्वारा शासन, निगम व निदेशालय में नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे।
निवेशकों को होगा लाभ
मुख्यमंत्री कमांड एवं कंट्रोल सेंटर से निवेश मित्र पोर्टल जुड़ेगा तो स्वयं मुख्यमंत्री व उनके कार्यालय के उच्च अधिकारी निवेश परियोजनों की प्रगति पर निगाह रख सकेंगे।
सरकार के विभागों द्वारा दी जा रहीं सेवाओं को तय समय में गुणवत्तापूर्वक व पारदर्शी ढंग से उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए अधिकारियों के योगदान व प्रदर्शन की निगरानी भी सर्वोच्च स्तर से होनी है।
- दुर्गाशंकर मिश्र, मुख्य सचिव
● बनेगी ताकतवर निगरानी यूनिट, योजनाओं पर नजर
● यूनिट के अधिकारी हर माह तय करेंगे रैंकिंग अंक