शिक्षक बताते हैं कि दस साल पहले विभाग ने पदोन्नति की थी। इसके बाद से पदोन्नति नहीं हुई है। इससे बड़ी संख्या में शिक्षक बिना प्रमोशन पाए ही सेवानिवृत्त हो गए। पिछले वर्ष कार्यवाही शुरू तो हुई, लेकिन पूरी होने का नाम नहीं ले रही है। दिसंबर अंत से शुरू शिक्षकों की वरिष्ठता की कवायद भी अब तक पूरी नहीं हो पाई है। वरिष्ठता तय न होने से दो बार जिले के अंदर तबादले की प्रक्रिया शुरू करने की तिथि टाली गई है। प्राथमिक से उच्च प्राथमिक स्कूलों में पदोन्नति न होने का खामियाजा शिक्षक ही नहीं
छात्र भी भुगत रहे हैं। कई विद्यालयों में गणित व विज्ञान के शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों से एप के जरिए काफी काम व डाटा अपलोड कराए जाते हैं। लेकिन टैबलेट खरीद की प्रक्रिया 2019 से अभी चल ही रही है। शिक्षक सबसे ज्यादा परिवार गणना से परेशान हैं। इन सबका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है।
पहले की सुविधाओं पर चली कैंची एक तरफ तो शिक्षकों को पदोन्नति, जिले के अंदर तबादले जैसी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। वहीं पहले से दी जा रही सुविधाओं पर भी कैंची चला दी गई है। प्रदेश में हर संवर्ग में अधिकारियों को पढ़ाई के लिए छुट्टी का प्रावधान है, लेकिन शिक्षकों के लिए यह सुविधा हाल ही में समाप्त कर दी गई। इसी तरह उनका प्रतिपूर्ति अवकाश भी समाप्त किया गया। शिक्षक काफी दिनों से चिकित्सा सुविधा देने की भी मांग कर रहे हैं। इस पर भी अब तक ठोस निर्णय नहीं हो पाया है।
वरिष्ठता संबंधी स्पष्ट प्रोफार्मा व निर्देश जारी किया गया था। उनकी नियुक्ति की मौलिक तिथि व इसमें एकरूपता होने पर गुणांक को आधार बनाना है। जल्द ही इसे फाइनल कर दिया जाएगा। इसके बाद जिले के अंदर तबादला प्रक्रिया शुरू होगी।
-प्रताप सिंह बघेल, – सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद
वर्षों से वरिष्ठता व जिले के अंदर तबादले के लिए शिक्षक इंतजार कर रहे हैं। विभाग जान-बूझकर इसे लंबित कर रहा है। मेडिकल व सीयूजी मोबाइल की सुविधा देने के लिए काफी दिनों से मांग चल रही है, पर ध्यान हीं दिया जा रहा है।
-अनिल यादव, प्रदेश अध्यक्ष, यूपी बीटीसी शिक्षक संघ