69 हजार शिक्षक भर्ती मामले से जुड़े 19 हजार सीटों पर हुए चयन में एकल पीठ के फैसले को आरक्षण के मुद्दे पर चुनौती देने वाली विशेष अपील पर सोमवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को नियत की है।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश खुद को आरक्षण पीड़ित बताने वाले 13 अभ्यर्थियों की अपील पर दिया । इन आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में 19000 के आसपास सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है। कहा कि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन कर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की इस भर्ती में ठीक तरह से ओवरलैपिंग नहीं कराई गई है, जो पूरी तरह से गलत है। प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची बनाई जाती है। लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी, सबकैटिगरी आदि को छुपाकर जिला आवंटन सूची पर इस भर्ती प्रक्रिया को संपन्न कर दिया गया। जो पूरी तरह से गलत है।
राज्य सरकार ने इस भर्ती की मूल चयन सूची आज तक जारी नहीं की। जबकि, प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची जारी की जाती है। जिसमें अभ्यर्थियों के गुणांक , कैटिगरी, सबकैटिगरी आदि को दर्शाया जाता है। साथ ही इसे विभाग की साइट पर अपलोड किया जाता है। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसा नहीं किया। अपीलकर्ताओं का कहना है कि गत 13 मार्च को एकल पीठ ने फैसले में सरकार को इस भर्ती की पूरी सूची को सही करने के लिए 3 महीने का समय दिया है।
उसमें, सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा (एटीआरई) को चयन का हिस्सा बताकर इस भर्ती प्रक्रिया की सूची को सही तरीके से बनाने का आदेश दिया गया है। ऐसे में जब एटीआरई परीक्षा चयन का हिस्सा न होकर एक पात्रता परीक्षा है, तो इस भर्ती प्रक्रिया की सूची, सरकार 3 महीने में मूल चयन सूची के रूप में कैसे बना सकती है। उधर, अपील पर सुनवाई के समय राज्य राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में सरकार की आंतरिक प्रक्रिया जारी है।